स्त्री जीवन का गणित
डॉ. पूनम तूषामड़स्त्री जीवन का गणित
क्या समझेंगे वे जो करते हैं
खोखले दावे उसके अंतर्मन
को छूने के।
स्त्री जीवन में कुछ भी
दो और दो चार नहीं होता।
जीवन की जोड़-घटा के बीच
जुड़ता ही जाता है बहुत कुछ
और घटती जाती है औरत
औरत गुना होती है औरत से।
और बँट जाती है, माँ, बहन
बीवी और बेटी में।
जीवन के इस गणित में
जोड़ -घटा, गुना, भाग होती
वह कहाँ बचती है,
एक मुक़म्मल औरत
वह बचती है केवल शेष।