संवेदना
अंजलि जैन शैली
संवेदना का अथाह सागर है
रिश्ते सारे सफल तैराक हैं
कुछ तट पर खड़े लहरें गिनें मुँह मोड़े
प्रेम के मोतियों से अछूता
तल से भी रीता,
कोई न डूबता, न डुबकी लगाता
मानो तो
अति, इति का समानुपात न होना
निराशा की खोखली सीप है॥