काग़ज़ी शिक्षा
अंजलि जैन शैली
अर्थकारी वैज्ञानिक शिक्षा के स्रोत
परिसीमित निश्चित दायरे में
मानो
कृत्रिम जलाशय से हैं,
कमल खिले भी तो
सड़न की संभावनाएँ ही
पल्लवित कर रहे हैं,
कृत्रिम हो या प्राकृतिक
मन मस्तिष्क को सक्रियता की
शीतल फुहारा-सी राहत दे तो सही, तभी
परमार्थकारी सांस्कृतिक, नैतिक शिक्षा का
वेतनमान होगा—
स्वस्थ परिवार, समाज, राष्ट्र व देश
एक सुखद परिणाम होगा!!