रिश्ते . . .
नेहा शुक्ल बर्रेत्तो
कहते हैं रिश्ते पानी की तरह होते हैं,
समय के साथ बह जायेंगे
बाँध लो गर किनारों को तो
आख़िर तक साथ निभाएँगे
बदल कर रूप अनेक
मंज़र कई दिखलायेंगे
क़दम क़दम पर कभी कभी
यह एहसास भी कराएँगे
हम हैं तो तुम हो, भूलना नहीं
क़द्र न की तो पल में रूठ जायेंगे
दिन रात एक कर सींचे जो पौधे,
पलक झपकते ही मुरझा जायेंगे
रिश्ते वाक़ई पानी की तरह होते हैं,
समय के साथ बह जायेंगे
पर बाँध लो किनारों को तो
आख़िर तक साथ निभाएँगे।