पत्थर

प्रदीप्ति शर्मा (अंक: 204, मई प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

(एक लघु चिंतन) 

पत्थर में उत्कीर्ण कहानियाँ, 
और तराशे हुए ये स्तम्भ, 
भिन्न भिन्न आकार की ये कड़ियाँ, 
जैसे प्रणाली हो जीवन शैली की, 
घटित हुई हो जो, 
भूत काल में, 
ले जाती है हमें, 
उस वक़्त में, 
और बतलाती है मौन होकर भी, 
दास्तान—
सभ्यता की, 
संस्कृति की, 
धर्म की, 
कर्म की, 
सत्य की, 
मिथ्या की, 
विजय की, 
पराजय की, 
व्यक्ति की, 
समाज की, 
उत्थान की, 
पतन की, 
उल्हास की, 
ग्लानि की, 
काल चक्र के सार की, 
जो परिवर्तनशील होकर भी, 
दोहराता है वही क्रम, 
अलग अलग कहानियों के रूप में। 

1 टिप्पणियाँ

  • 3 Apr, 2023 02:55 PM

    Thoughtful narration

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में