दो व्यक्ति बाज़ार में झगड़ रहे थे। कारण मामूली सा था। पहला व्यक्ति-मोटर सायकल रिपेयर कराने वाला और दूसरा मैकेनिक था। मैकेनिक का कहना था कि उसने उस गाड़ी को सुधारने के पीछे बहुत मेहनत की है। यह अलग बात है कि वह गाड़ी सुधर नहीं पायी। चूंकि उसने उसके पीछे मेहनत की है, इसलिये उसे उसका पैसा मिलना ही चाहिए, जबकि ग्राहक का कहना था कि चूंकि गाड़ी सुधरी ही नहीं है, तो वह पैसा किस बात का दे। वे दोनों अन्धेर नगरी के राजा के पास पहुँचे तो उसने न्याय दिया कि चूंकि मैकेनिक श्रम का प्रतीक है और उसने श्रम किया है इसलिये उसे उसका प्रतिफल मिलना चाहिए और चूंकि मोटर-सायकल पूंजीवाद का प्रतीक है, इसलिये उसके मालिक को श्रम का महत्व समझते हुए भुगतान करना चाहिये।

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