मिशन शक्ति: मेरे विचार
कपिल साहूसहज नहीं अति दुष्कर है नारी का वर्णन कर पाना,
सहज नहीं अति दुष्कर है उस शक्ति का वर्णन कर पाना,
लक्ष्मी बाई, रानी पद्मिनी उस महाशक्ति के उदाहरण हैं,
नियति में नहीं सब लोगों की नारी का वंदन कर पाना।
मानवजाति के लिए तो नारी एक वरदान है,
समस्त स्त्रियों में निहित अखिल विश्व का कल्याण है,
जब तक हो जीवित, सम्मान करो हर महिला का
फिर मृत्योपरांत तुम्हारे लिए आरक्षित दिव्यधाम है।
पर सत्य कहूँ तो इस युग में नारी जाति कलंकित है,
जिसके कारण पुरुष अपने अधिकारों से वंचित है,
उचित है हर महिला को विशेष सुरक्षा प्रदान करना,
पर अधिकारों में असमानता सर्वथा अनुचित है।
राजधानी का कांड उपर्युक्त बात का आधार है,
जिसमें निर्दोष ’शादत’ सहता ’प्रियदर्शिनी का वार है,
यदि इस महापराध के बाद वह नारी स्वतंत्र है,
तो वास्तव में मिशन शक्ति जारी रखना बेकार है।
इस घटना में पुरुष ने नारी का सम्मान किया,
पर उस महिला ने अपने अधिकारों पर अभिमान किया,
चाहता तो शादत भी उसको एक क्षण में उत्तर दे देता,
पर संस्कारों के बंधन में बँधकर माता-पिता का मान किया।