मैंने कोई वबाल जो पैदा नहीं किया
बलजीत सिंह 'बेनाम'मैंने कोई वबाल जो पैदा नहीं किया
उसने भी ग़ैर से मेरा चर्चा नहीं किया
हर शख्स ही खरीद ले कौड़ी के भाव में
इज्ज़त को इस क़दर कहीं सस्ता नहीं किया
थी रंजिशें हज़ार ज़माने से पर कभी
ख़ुद को किसी के ख़ून का प्यासा नहीं किया
नदियों सी तँग सोच में कुछ लोग मर गए
सागर सा अपनी सोच को गहरा नहीं किया
तुम बस गए निग़ाह में इक बार जब सनम
सीधी निग़ाह को कभी तिरछा नहीं किया