मैं तुम्हारी प्रिया

15-05-2023

मैं तुम्हारी प्रिया

सरोज राम मिश्रा ‘प्रकृति’ (अंक: 229, मई द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

कोई तीसरे पहर की रात थी
रीझ गया कनु का मन
प्रिया की याद में . . . 
 
सेतु बनी 
राधा की शोख चंचल सकुचाती पलकें 
विकल हो उठे कनु
 
छोड़ा घर संसार . . . 
 
आ बैठे फूलों की शैइया पर
हौले से राधा के पा . . . स 
 
कृष्ण के प्रेम भरी छुअन से
सिहर उठा
राधा का मौन मन . . . 
 
कनु की विराट ऊर्जा में
समा गया
उसका अधखिला
काँपता तन . . . 
 
बनी राधा अब-
कृष्ण की माया
कृष्ण की शक्ति
कृष्ण की भक्ति
कनु को कंठ लगाए
आकंठ में
डूबती . . . हुई
कनुप्रिया

1 टिप्पणियाँ

  • 13 May, 2023 05:33 PM

    गहरी संवेदना में उतर कर लिखी गई रचना मन को उतनी ही गहराई से छूती है

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