कितना सुंदर है आकाश! 

15-11-2025

कितना सुंदर है आकाश! 

अवधेश तिवारी (अंक: 288, नवम्बर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

कितना सुंदर है आकाश, 
ये नीला-नीला आकाश! 
 
इसमें उड़ते पंछी प्यारे, 
यहाँ चमकते चाँद-सितारे। 
भरता चारों ओर प्रकाश, 
ये उजला-उजला आकाश! 
 
यहाँ दौड़ते मेघ सलोने, 
जैसे हों हिरनों के छौने। 
सदा बुझाते सबकी प्यास, 
ये भीगा-भीगा आकाश! 
 
कोई नहीं है जग में ऐसा, 
यह ख़ुद ही है ख़ुद के जैसा। 
इसीलिए है सबसे ख़ास। 
ये न्यारा-न्यारा आकाश! 
 
एक दिन इसको मैं छू लूँगा, 
अपनी मुट्ठी में भर लूँगा। 
मुझको है पूरा विश्वास, 
ये मुट्ठी-मुट्ठी आकाश। 

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