किस मोड़ पर आँसू आए हैं
डॉ. मोहन बैरागीकिस मोड़ पर आँसू आए हैं
लोग जो अपने हुए पराए है
प्राण जो बोये क्यारी क्यारी
सींची जल से वह फुलवारी
स्वप्न तुम्हारा घायल लगता
कब सोता मैं या कब जगता
पछताए अपने किये कराए हैं
लोग जो अपने...
जीवन तम से घिर जाना है
सब शेष चिता तक जाना है
अंधियारों में कुछ चमकेंगे
यादों में राही सब खनकेंगे
कितने सूरज तुमने उगाए हैं
लोग जो अपने...
तुम महफ़िल में हो मस्ती में
हम मिटते रहे यारपरस्ती में
भौंरा काँटों पर न मँडराता
जलता जंगल साथ जलाता
बस बोलों में विष के साए हैं
लोग जो अपने...