खालसा

हरविंदर सिंह 'ग़ुलाम' (अंक: 207, जून द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

अंतर्मन में नाद उठा है 
कैसा ये विस्माद उठा है 
हिरण्य कश्यप के घर देखो 
हरी भक्त प्रह्लाद उठा है 
 
जब जब हुआ अहम् में अंधा 
कोई नृप दुनिया ने देखा है 
किया धर्म पर दूषण भरी 
फिर मन में अवसाद उठा है 
 
जब जब भरी सभा में कोई 
चीर हरण का यत्न करेगा 
फिर निर्बल की रक्षा हेतु 
कृष्ण चक्र बिन अपवाद उठा है
 
सदियों से देखा है हमने 
क्यों मानस ने मानस को मारा 
वसुधैव कुटुंब करने हेतु 
कर खालसा पंथ सिंहनाद उठा है

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