कविता

अतुल पाठक (अंक: 202, अप्रैल प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

सृजन का अर्पण है कविता, 
मन का दर्पण है कविता। 
 
अनकहा चरण है कविता, 
शून्य हृदय में रोपण है कविता। 
 
सीप में मोती सा चयन है कविता, 
अर्जन नहीं सृजन और गहन है कविता। 
 
शृंगार प्रेम हास्य और वीर रस का मिश्रण है कविता, 
शब्दों से चमकती नवकिरण है कविता। 
 
कभी कल्पना तो कभी प्राण है कविता, 
नित नया नया निर्माण है कविता। 
 
भावनाओं का चित्रण है कविता, 
सत्य का कर्पण है कविता। 
 
शब्द और अर्थ का मेल है कविता, 
कवि की काव्यरूपी बेल है कविता। 
 
दिल की हर बात बयाँ करे जो, 
काग़ज़ क़लम को जिस पर गुमाँ हो
वो मौन की ज़ुबाँ है कविता। 

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