जीवन क्या है?
डॉ. कमल किशोर चौधरी ‘वियोगी’
यह जीवन सच एक सपना है,
सब सपना सच क्या होता है?
हर कोई ख़ुद को जीता है।
कोई ना अपना होता है।
इस सच को जिसने समझ लिया,
समझो निज को पहचान लिया।
समझो उसने जगजीवन को,
अपनी मुट्ठी में बाँध लिया।
ये प्रकृति नटी का स्वर्ण द्वार,
भौतिक रास अद्भुत भंडार।
यह चकाचौंध यह रूप-रंग।
योगेश्वर को नहीं भाया है।
न बाँध सकी कोई माया।
औ मोह नहीं भरमाया है।
ऐसा निर्मोही इस जग में;
सच कभी-कभी ही आया है।
आना-जाना जग की भाषा,
क्या कुछ लेकर वो आया है?
न गया है कुछ लेकर जग से।
यह संतों ने फ़रमाया है॥
लेकिन यह भी तो झूठ नहीं,
यदि लिया जगत से, दिया भी है।
जो लिया मरा, जो दिया, जिया।
वो अमर संसार में कहलाया है॥