जब तू बूढ़ी हो जाएगी
हेमंत कुमार मेहराजब तू बूढ़ी हो जाएगी,
मैं भी बूढ़ा हो जाऊँगा,
मैं तब भी तुमको चाहूँगा,
मैं फिर भी तुम को चाहूँगा,
मैं नए सृजन बरसाऊँगा,
मैं नए राग में गाऊँगा,
मैं गीत लिखूँगा नए नए,
मैं नयी ग़ज़ल दोहराऊँगा,
पर गीत तेरे ही गाऊँगा,
हर रस तेरे बरसाऊँगा,
नित नवल सृजन कर जाऊँगा,
जब तू बूढी हो जाएगी,
मैं भी बूढ़ा हो जाऊँगा,
पर फिर भी तुमको चाहूँगा. . .