ईर्ष्या की खेती

15-04-2021

ईर्ष्या की खेती

गोलेन्द्र पटेल (अंक: 179, अप्रैल द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

मिट्टी की मिठास को सोख
ज़िद के ज़मीन पर
उगी है
इच्छाओं की ईख
 
खेत में
चुपचाप चेफा छिल रही है
चरित्र
और चुह रही है
ईर्ष्या
 
छिलके पर  
मक्खियाँ भिनभिना रही हैं
और द्वेष देख रहा है
मचान से दूर
बहुत दूर
चरती हुई निंदा की नीलगाय!

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