इंतज़ार
शेष अमितझरते हरसिंगार ने,
रोका है पथ कभी,
जुगनू आँधेरे में,
रातरानी की महक ने,
धकेला है भँवर में?
गुलाब को पाया-
इंतज़ार में गुमसुम?
तो पथिक भूले नहीं तुम,
राह अब तक।
झरते हरसिंगार ने,
रोका है पथ कभी,
जुगनू आँधेरे में,
रातरानी की महक ने,
धकेला है भँवर में?
गुलाब को पाया-
इंतज़ार में गुमसुम?
तो पथिक भूले नहीं तुम,
राह अब तक।