इक ख़ुमारी रात की आँखों में भरता देखकर
डॉ. भावना
इक ख़ुमारी रात की आँखों में भरता देखकर
हँस पड़ा है चाँद भी तारों को हँसता देखकर
रेत-सा बिखरा पड़ा जो ज़िन्दगी की धार में
मौन है वो दूध और पानी को मिलता देखकर
वह उड़ेगा और ऊँचा देखना ए आसमाँ
एक बच्चा सोचता चिड़ियों को उड़ता देखकर
रुक गया पानी तो सड़ ही जाएगा वह एक दिन
फ़िक्र में रहते किनारे बाँध बनता देखकर
इश्क़ को भी नाज़ हो आया है इस परवाने पर
आग में हँसके पतंगे को यूँ जलता देखकर