हमें क्या देखना था क्या हमें दुनिया दिखाती है 

15-02-2024

हमें क्या देखना था क्या हमें दुनिया दिखाती है 

डॉ. भावना (अंक: 247, फरवरी द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

हमें क्या देखना था क्या हमें दुनिया दिखाती है 
महामारी ही टीवी चैनलों पर रोज़ आती है 
 
अगर होते सुरक्षित तो भला क्यों लौटते ये घर
भले बोले न बोले पर बग़ावत बोल जाती है
 
हमारे गाँव में तहज़ीब ज़िन्दा है तभी तो हाँ
श्रवण-सी ‘ज्योति’ बिटिया बोझ पापा का उठाती है
 
चलो इक बार फिर से शान्ति की दुनिया बसा डालें
जुदा मंज़र लिए यह रात मुझ को अब डराती है
 
हुआ क्या लॉकडाउन भागते सब जा रहे हैं घर 
मगर नन्ही-सी मुनिया रास्ते में डगमगाती है
 
तमाशा हो रहे हैं हम, तमाशाई बनी दुनिया
सियासत आगे जाने क्या नया करतब दिखाती है
 
(‘ज्योति’ बिहार की एक छोटी लड़की जो लॉकडाउन में अपने बीमार पिता को हरियाणा से दरभंगा लेकर आयी) 

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