हिमालयन

01-01-2022

हिमालयन

हरिपाल सिंह रावत ’पथिक’ (अंक: 196, जनवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

(मित्र को श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित)
 
जाने कैसे पुण्य अरु तप कर, 
पाया था तुम, जैसा सहचर॥ 
भ्रात, गुरु, कभी बंधु सा बनकर, 
संग चलते थे, काव्य पंथ पर। 
 
सीखा मैंने तुमसे, हे तात! 
सारी धरणी, मेरा निवास। 
 
तुम सा मनु, फिर न कहीं मिलेगा? 
क्षोभ से क्षिति का हृदय फटेगा। 
 
बरसेंगे नभ से, आर्त्ति पुंज-घन, 
हे इति धरणी सुत! 
इति श्री हिमालयन॥
इति श्री हिमालयन॥

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