हमने दुनियादारी देखी
रामश्याम ‘हसीन’
हमने दुनियादारी देखी
दुनिया हमने सारी देखी
जीने की कोशिश देखी
मरने की तैयारी देखी
हारी बाज़ी जीत गये है
जीती बाज़ी हारी देखी
फूलों को इतराते देखा
काँटों की लाचारी देखी
महगाई के मारे फिरती
इज़्ज़त मारी-मारी देखी