भूखे पेट भजन होता है
रामश्याम ‘हसीन’
भूखे पेट भजन होता है
अपना अपना मन होता है
होता कुछ है कुछ दिखलाता
ऐसा भी दर्पण होता है
पैसे वाले में दिल मुश्किल
दिल वाला निर्धन होता है
सुलझे-सुलझे जीवन में भी
उलझा-उलझा मन होता है
हर पारीना घर में अब भी
सबका इक आँगन होता है