गाँव धोरडो: ग्रामीण पर्यटन का वैश्विक केंद्र 

15-11-2023

गाँव धोरडो: ग्रामीण पर्यटन का वैश्विक केंद्र 

डॉ. रघुवीर चारण (अंक: 241, नवम्बर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

भारत विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है जिसमें बहुरंगी विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। भारत की विविधता और प्राकृतिक सुंदरता दुनिया-भर के पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करती है हमारे यहाँ उतर में हिमालय की मनमोहक वादियाँ व कश्मीर घाटी से लेकर दक्षिण में समुद्री तट व मुन्नार की ख़ूबसूरती अद्भुत है वहीं पूर्व में कोणार्क सूर्य मंदिर से लेकर पश्चिम के रेगिस्तान तक सम्पूर्ण भारत अतुल्य है। 

हालही में संयुक्त राष्ट्र के विश्व पर्यटन संगठन ने गुजरात के कच्छ ज़िले के छोटे-से गाँव धोरडो को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ पर्यटक गाँवों की सूची में शामिल किया है। वर्ष 2023 की इस सूची में 54 गाँव शामिल हैं जिसमें भारत के एकमात्र इस सुंदर गाँव ने अपनी जगह बनाई। ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र संगठन द्वारा इसकी शुरूआत 2021 में की गई यह सम्मान उन गाँवों को दिया जाता है जो ग्रामीण इलाक़ों के विकास और परिदृश्यों, सांस्कृतिक विविधता, स्थानीय मूल्यों और खान-पान परंपराओं के संरक्षण में अग्रणी हैं। 

सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गाँव पहल ग्रामीण विकास कार्यक्रम के लिए यूएनडब्ल्यूटीओ पर्यटन की प्रमुख परियोजना है। कार्यक्रम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पर्यटन आय और विकास में क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने, जनसंख्या में गिरावट से लड़ने, लैंगिक समानता व महिला और युवा सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने, नवाचार और डिजिटलीकरण को आगे बढ़ाने, कनेक्टिविटी, बुनियादी ढाँचे में सुधार, वित्त और निवेश तक पहुँच, को बढ़ाना शामिल है सयुंक्त राष्ट्र की यह वैश्विक योजना ग्रामीण पर्यटन के लिए परिवर्तनकारी होगी। 

गुजरात राज्य के कच्छ ज़िले में सफ़ेद रेगिस्तान में स्थित छोटा सा गाँव धोरडो अपनी पारंपरिक कला व संस्कृति के बूते वैश्विक पर्यटन का केंद्र बना कच्छ के विशालकाय रण में बसा ये गाँव वार्षिक रण उत्सव के लिए प्रसिद्ध है प्रतिवर्ष यहाँ नवंबर से फरवरी तक करीबन चार माह तक रण महोत्सव का आयोजन होता है जिसमें विभिन्न मनोरंजन गतिविधियाँ व गुजराती पारंपरिक कला और संस्कृति का प्रदर्शन किया जाता है रण महोत्सव का आरम्भ 2005 में किया गया पहले ये तीन दिन का उत्सव होता था। 

कच्छ के इस वीरान रण में एशिया की सबसे बड़ी टेंट सिटी की अस्थायी बसावट होती है जिसके अंदर की सुविधाएँ किसी भी शाही लवाजमे से कम नहीं होतीं। धोरडो में विशेष प्रकार के घरों का निर्माण किया गया जिसे भूँगा कहते हैं। भूँगा विशेष प्रकार की मिट्टी से बनाया गया जिसका तापमान ऋतु के अनुकूल रहता है साथ ही यह भूंकप प्रतिरोधी है। घरों के ऊपर वहाँ की पारंपरिक कलाकृति भी देखने को मिलेगी। आज इस स्मार्ट गाँव ने विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपना नाम अंकित करवाया। वार्षिक रण उत्सव के दौरान भुजोली की हस्तशिल्प कला, कच्छी शॉल, बाँधनी, पारंपरिक खानपान, गुजराती लोक साहित्य और संस्कृति की अनूठी झलक देखने को मिलती हैं। 

ग्रामीण पर्यटन में अव्वल धोरडो ने भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत प्रथम पर्यटन कार्य समूह की बैठक की मेज़बानी की तथा गाँव की अर्थव्यवस्था और क्षेत्र में रोज़गार के अवसरों के निर्माण पर पर्यटन बुनियादी ढाँचे के विकास और रण उत्सव जैसी पर्यटन संवर्धन गतिविधियों की सकारात्मक पहल की। गुजरात टूरिज़्म को बढ़ावा देने के लिए अमिताभ बच्चन द्वारा कही गई लाइन “कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा” वर्तमान में सही चरितार्थ हो रही है। वर्ष 2001 में आए विनाशकारी भूकंप से तबाह हुए कच्छ क्षेत्र में आज पर्यटन से रोज़गार के अवसर पैदा हो रहे हैं। 

भारत में पर्यटन की स्थिति पर नज़र डालें तो अतुल्य भारत अभियान ने भारतीय पर्यटन को वैश्विक मंच प्रदान किया भारत में पर्यटन सबसे बड़ा सेवा उद्योग है, जहाँ इसका राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6.23% और भारत के कुल रोज़गार में 8.78% योगदान है। अब सालाना लाखों में विदेशी पर्यटक भारत की और रुख़ कर रहे हैं अब भारतीय पर्यटन विभाग द्वारा सुदूर ग्रामीण पर्यटन की अपार सम्भावनाओं को तलाशा जा रहा है जिसमें गाँव धोरडो ग्रामीण पर्यटन का बेहतरीन उदाहरण है। 

देश में ग्रामीण पर्यटन के विकास और प्रचार को बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि ग्रामीण पर्यटन से गाँवों की आर्थिक स्थिति मज़बूत होगी और हमारी विरासत को नई ऊर्जा मिलेगी ग्रामीण पर्यटन में ग्रामीण भारत के आर्थिक विकास और सामाजिक परिवर्तन को प्रोत्साहित करने की उच्च क्षमता है इससे रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे व गाँवों की पारंपरिक स्थानीय कला और संस्कृति को वैश्विक पहचान मिलेगी॥

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