कभी छोटी-सी यह चिड़िया भी
मानविका चौहान
कभी छोटी-सी यह चिड़िया भी
मुस्कुराई होगी
कभी उसने भी यह दुनिया देखने की
इच्छा जताई होगी
क्या पता था उस नन्ही सी जान को
कि समय ने कौन सी लीला रचाई होगी॥
क्या पता था उसे कि यह
छोटा-सा पिंजरा उसकी दुनिया बन जाएगा
अब उसे हँसने का भी
क़र्ज़ चुकाना पड़ जाएगा॥
कभी यह छोटी सी चिड़िया भी
अपने उदास मन में याद करेगी
क्या पता था माँ कि यह दुनिया
इतनी ज़ालिम निकलेगी
मुझे गिर के उठने का मौक़ा भी ना देगी
मैंने सपने तो बहुत से देखे थे मगर
कभी यह न सोचा सोचा था कि
इन सपनों की भी क़ीमत चुकानी होगी
कभी छोटी-सी यह चिड़िया भी
मुस्कुराई होगी
कभी उसने भी यह दुनिया देखने की
इच्छा जताई होगी॥
1 टिप्पणियाँ
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An outstanding and heart touching poem. Depicting the miserable life of a girl. Manvika has shown beautiful efforts. Kudos