कभी छोटी-सी यह चिड़िया भी

01-04-2024

कभी छोटी-सी यह चिड़िया भी

मानविका चौहान  (अंक: 250, अप्रैल प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

कभी छोटी-सी यह चिड़िया भी
मुस्कुराई होगी
कभी उसने भी यह दुनिया देखने की 
इच्छा जताई होगी
क्या पता था उस नन्ही सी जान को
कि समय ने कौन सी लीला रचाई होगी॥
 
क्या पता था उसे कि यह
छोटा-सा पिंजरा उसकी दुनिया बन जाएगा
अब उसे हँसने का भी 
क़र्ज़ चुकाना पड़ जाएगा॥
 
कभी यह छोटी सी चिड़िया भी
अपने उदास मन में याद करेगी
क्या पता था माँ कि यह दुनिया
इतनी ज़ालिम निकलेगी
 
मुझे गिर के उठने का मौक़ा भी ना देगी
मैंने सपने तो बहुत से देखे थे मगर
कभी यह न सोचा सोचा था कि
इन सपनों की भी क़ीमत चुकानी होगी
 
कभी छोटी-सी यह चिड़िया भी 
मुस्कुराई होगी
कभी उसने भी यह दुनिया देखने की 
इच्छा जताई होगी॥

1 टिप्पणियाँ

  • 30 Mar, 2024 07:45 AM

    An outstanding and heart touching poem. Depicting the miserable life of a girl. Manvika has shown beautiful efforts. Kudos

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में