दुलहन रात

01-04-2023

दुलहन रात

सूर्य प्रकाश मिश्र (अंक: 226, अप्रैल प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

आ रही रात धीरे-धीरे 
घूँघट में हँसता चाँद लिये 
 
अपलक निहारता नील गगन 
नाज़ुक सी शर्मीली दुलहन 
मिल गई नज़र शबनमी हुआ 
इस दुलहन का कोरा यौवन 
 
ये नूर नज़ारों ने देखा 
मदहोश हो गये बिना पिये 
 
जो थे उदास रूठे-रूठे 
सूरज से जिनके दिल टूटे 
ख़ुश हैं गुलमोहर अमलतास 
ख़ुश लगते इमली के बूटे 
 
इस नई नवेली दुलहन के 
स्वागत में सारे बिछे हुए 
 
जब से पूनम का चाँद दिखा 
खिलखिला उठी मख़मली हवा 
जलवों से ऐसी दुलहन के 
सारा मौसम ही बहक गया 
 
आँखों में मस्त सितारों की 
झिलमिला उठे अनगिनत दिये

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