कोरोना को हराना है

01-05-2021

कोरोना को हराना है

नीलेश मालवीय ’नीलकंठ’ (अंक: 180, मई प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

कोरोना की लहर चल रही, शहरों और बाज़ारों में,
करके ग़लती लोग डूब रहे, लाखों और हज़ारों में,
इसके चक्रव्यूह में फँस रहा, आज सारा ज़माना है
दुनिया के साथ मिलकर, हमें कोरोना को हराना है....
 
इस नदिया में कश्ती सबकी, सावधानी का ही साथ है,
हाथ साफ़ हैं मास्क लगा है, फिर डरने की क्या बात है,
सेनेटाइज़र से इसे मारकर, लोगों से दूरियाँ, अपनाना है,
दरिया से नौका पार लगाकर, हमें कोरोना को हराना है....
 
योग ध्यान दौड़ता इंसान, इन सब से तो ये क़ादिर है,
सादा भोजन करता है जो, वो सबसे बड़ा बहादुर हैं,
बच्चे बूढ़े प्यारे हैं इसको, हमें सबके कल को सजाना है,
आज घर से ना निकलकर, हमें कोरोना को हराना है....
 
ख़ाकी वर्दी पहनकर के, वो अँधेरों में दीये जलाते हैं,
मास्क  का जुर्माना उद्देश्य नहीं, वो कोरोना से बचाते हैं, 
अनुबन्धों का अनुसरण कर, विजय का ध्वज फहराना है,
साथ सभी के प्रयासों से, हमें कोरोना को हराना है....

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