चम्मच से तोते सीख गये खाना
हरिहर झाचोंच कहाँ,
चम्मच से तोते सीख गये खाना।
भूले सब संस्कार, समझ,
फूहड़ता की झोली
ग़म उल्लास निकलते थे,
बनी गँवारू बोली
गिटपिट अब चाहें,
अँगरेज़ी, में गाल बजाना
चोंच कहाँ,
चम्मच से तोते सीख गये खाना।
भूले कत्थक भरनाट्यम,
सारेगम सब भूले
ड्रम के सुर में तबला,
नक़ल कर मन में फूले
फाड़ कानों के पर्दे,
भैंसा-सुर राग सुनाना
चोंच कहाँ,
चम्मच से तोते सीख गये खाना।
बादल जब हों
आफ़त के, कौन किसे दे कंधा
स्नेह बाँटना भूल गये
सीखे गोरखधन्धा
खड़े खड़े बुफ़े में, मिलता
गपशप का बहाना
चोंच कहाँ,
चम्मच से तोते सीख गये खाना।