चाहता हूँ रूस और यूक्रेन के बीच शान्ति लिखूँ
दयानंद पांडेयमनुष्यता के नाम सारी दुनिया को पाती लिखूँ
चाहता हूँ रूस और यूक्रेन के बीच शान्ति लिखूँ
बारूद की गंध शिशुओं की साँस में धँसे नहीं
माँ के दूध की सुगंध ही शिशु की थाती लिखूँ
जैसे मिलते हैं सुगंध और सुमन बिना युद्ध के
युद्ध बंद कर कभी बेला, कभी रातरानी लिखूँ
सुबह सूरज उगे और ख़बरों में मिले ख़ुशी
दिन गुज़रे प्यार में, घर लौटूँ सँझवाती लिखूँ
रात सुनूँ राग मालकोश भोर भैरवी गाते उठूँ
ज़ुल्फ़ों में छुप फागुनी रात को मदमाती लिखूँ
विवाद सारे संवाद से सुलटें जैसे ज़ुल्फ़ें सँवरती हैं
मनुष्यता के नाम शान्ति की गर्वीली प्रणामी लिखूँ
प्यार की ओस में भीग कर प्रेम का गायक बनूँ
युद्ध नहीं मनुष्यता के प्यास का अनुगामी लिखूँ
बहूँ मोस्कवा नदी के जल में किसी बाँसुरी की धुन में
संतूर की मीठी तान में सन कर शाम सुहानी लिखूँ
मिसाइलें नहीं सुनहरे सपने दिखें आकाश में
नदी में ऐसी कोई सपनों की नाव आती लिखूँ