बिना टाँग का आदमी
सुनीता गोंडएक आदमी जो बिना टाँगों का है
और चल रहा है
नहीं?
वह कूद रहा है
चलना शायद उसने छोड़ दिया है
और रेंगना भी,
वह अपनी मंज़िल की तरफ़ बढ़ रहा है
वह कोई निश्चित स्थान नहीं है,
उसके पीछे लदे हैं कुछ ज़रूरी सामान
जो उसके लिए ज़रूरी हैं,
लेकिन वह थका नहीं है
वह कूद रहा है,
उसका क़द कुछ छोटा हो गया है
शायद बौना?
ये उसे मालूम है
उसके पास बची है सिर्फ़ हाथ की लकीरें
जो मणिबद्ध रेखा को छूती हैं
वह भाग्यशाली है
इसलिए अब वह उन हाथों का प्रयोग नहीं करेगा।
उसका बोझ अब उसकी गर्दन पर टिका है
फिर भी वह थका नहीं है
और कूद रहा है
अब वह उतान नहीं हो सकता
इसलिए वह झुका है
पीठ के बल
वह अपनी मंज़िल तक अब पहुँच चुका है
जहाँ कोई निश्चित स्थान नहीं है
वह अब रेंगने को सोच रहा है
अब वह पहुँच चुका है वहाँ
जहाँ कोई निश्चित स्थान नहीं
रेंगते रेंगते
शायद वह और रेंगेगा
और पीछे छोडे़गा एक निशान
रेंगते हुए अस्तित्व का।