बसंत
भानु प्रताप सिंहजब आमों में बौर लगे
जब कलियाँ कोयल पिक सुने
जब साँझ हवा के झोंके आएँ
झीनी चाँदनी अमृत बरसाए
तब समझो वह आता है
नव बसंत कहलाता है..॥
वसुंधरा के वक्षों पर
जब सरसों के पीले फूल खिलें
दूर कहीं दुनियां से जब
दो प्रेमी के हृदय मिलें
मादकता अँगड़ाई लेकर
मौसम को जब ललचाता है
तब समझो वह आता है
नव बसंत कहलाता है॥