बस फ़क़त अटकलें लगाते हैं
नीरज गोस्वामीबस फ़क़त अटकलें लगाते हैं
हम कहाँ तुमको समझ पाते हैं
आम की डाल सा है दिल मेरा
आप कोयल से गीत गाते हैं
तुम इशारा कभी करो तो सही
छोड़ हम सब सहारे आते हैं
राह मिलती कहाँ किसी दिल की
बस दिेवाने ही ढूंढ पाते हैं
हमसे जो रूबरू नहीं मिलते
वो ही सपनों में आते जाते हैं
दूर रह कर भी पास लगते हैं
जिनसे भी दिल के रिश्ते नाते हैं
ज़िंदगी बेमज़ा नहीं रहती
प्यार का छौंक जब लगाते हैं
तुमसा उसके नहीं खज़ाने में
रब तो अपना है माँग लाते हैं
दिल की सूनी हवेली में नीरज
ख़ुद के साये मुझे डराते हैं
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