बदलते ख़्वाब
नेहा शर्मा
जिन कहानियों से बचपन में सबक़ थे सीखे,
उन कहानियों के किरदार सारे बदल गए।
माना था जिस दोस्ती को ज़िंदगी भर की रहमत,
बिना ख़बर उन दोस्तों के ठिकाने बदल गए।
बड़े हो गए हम जाने कब और कैसे,
देखते देखते कामयाबी के पैमाने बदल गए।
कभी होते थे ख़ुश उड़ा के लूटी हुई पतंग को,
आज ज़िन्दगी से ख़फा हम दीवाने बदल गए।
शुरू हुई जब धुन, लगा जानते हैं गाना,
कुछ देर में पता चला शब्द सारे बदल गए।
जिन दिलों की चाभियाँ हमारे पास रहती थी,
ख़बर आयी उन दिलों के आज ताले बदल गए।
जिस गली में मैंने चलना था सीखा,
उसकी खिड़कियों से झाँकते चेहरे सारे बदल गए।
इसी कशमकश में कि कोई बुरा ना मान जाए,
देखते देखते मेरे ख़्वाब सारे बदल गए।