अपने पैरों पे जो खड़ा होगा
संजीव प्रभाकर
2122 1212 22
अपने पैरों पे जो खड़ा होगा,
उसका क़द हर जगह बड़ा होगा।
वक़्त के साथ जो न बदला वो,
धूल खाता हुआ पड़ा होगा।
मशवरा सब सहीह, बेजा है,
कोई ज़िद पे अगर अड़ा होगा।
हार उसकी हुई, त'अज़्ज़ुब है!
अपने लोगों से ही लड़ा होगा।
आ रहीं आहटें क़यामत की,
पाप का भर गया घड़ा होगा।