अनकही भावनाओं का रागात्मक शोध है: ‘नर्म फाहे’ कहानी संग्रह

01-04-2023

अनकही भावनाओं का रागात्मक शोध है: ‘नर्म फाहे’ कहानी संग्रह

शकुंतला मित्तल (अंक: 226, अप्रैल प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

समीक्षित पुस्तक: नर्म फाहे (कहानी संकलन)
लेखिका: भावना सक्सैना
प्रकाशक: सर्वभाषा प्रकाशन
पृष्ठ संख्या: 126
मूल्य: ₹200/-

सर्व भाषा प्रकाशन से प्रकाशित वरिष्ठ साहित्यकार सुश्री भावना सक्सेना जी का कहानी संग्रह ‘नर्म फाहे’ वाक़ई इंद्रधनुषी रंगों से भरा ख़ूबसूरत कहानी संग्रह है। इसमें 16 कहानियांँ संकलित हैं। भावना जी की कहानियों का कहानी संसार घटनाओं या कथानक के कोरे वर्णन का वितान नहीं है, वरन्‌ मानव के अंतर्मन के यथार्थ, व्यक्ति की कुंठा, समस्याओं और अंतर्द्वंद्व के ताने-बानों से बुना अद्भुत कथा संसार है। अधिकांश कहानियों में भावनात्मक गहराई और वैचारिकता इस तरह रुचिकर ढंग से समाहित की गई है कि पात्रों के अंतर्मन के घात-प्रतिघात, प्रतिक्रियाएंँ, चित्त की बदलती अवस्थाओं के साथ पाठक को गहरी जिज्ञासा से जोड़े रखने में पूरी तरह सक्षम है। बाह्य दृश्यों के चित्रांकन के साथ साथ अंतर्द्वंद्वों और मन के भीतर के सूक्ष्म भाव संसार पर भी लेखिका की दृष्टि की गहरी पकड़ है। 

'नर्म फाहे' कहानी, जो पुस्तक का शीर्षक भी है, बहुत ख़ूबसूरती से हमें बताती है कि संसार के सब आत्मीय रिश्तों में न तो बँधा जा सकता है और न ही हर रिश्ते को नाम ही दिया जा सकता है। पर ये आत्मीय रिश्ते सेमल के नर्म फाहों की तरह सदा जीवन में रहते हैं और दूर रह कर भी उनकी उपस्थिति और सरस कोमल आत्मीयता से मुक्त नहीं हुआ जा सकता। 

‘मुट्ठी भर धूप’ कहानी के अंतर्द्वंद्व की एक बानगी देखिए, “मैंने पढ़ा था किसी कक्षा में कि मरने पर हृदय सुन्न हो जाता है, हृदय ही नहीं पूरा आदमी सुन्न हो जाता है, अगर हृदय मरने पर सुन्न होता है तो मन क्या होता है? वह कैसे कई कई बार सुन्न होकर भी ज़िन्दा रह जाता है? पापा जब गए थे हम सब के मन सुन्न थे, लेकिन हम जीते रहे . . .। मन के बर्फ़ हो जाने पर कोई ज़िन्दा कैसे रह सकता है?” 

हर परिस्थिति को, दुख को देखने का जो हमारा नज़रिया है, वही हम में दुख और सुख का संचार करता है। कनु इसी बात से दुखी है कि जो उसका लालन-पालन कर रहे हैं, वे उसके अपने जन्मदाता नहीं हैं। उन्होंने उसे गोद लिया था। 

तभी लेखिका कहानी में मुनिया नाम की अनाथ लड़की का नाटकीय प्रवेश करवाती है और उस दुख को इस सोच से सुख में बदल देती है, “दीदी, तुम यह सोच ख़ुश रहो कि तुम्हें अपनाया गया कि तुम मुनिया नहीं हो।”

कहानी के सकारात्मक संदेशपरक अंत का कहीं पूर्वानुमान नहीं हो पाता और पाठक जिज्ञासा में बँधा उसे अंत तक पढ़ता है और अंत अनु के साथ-साथ पाठक के चेहरे पर भी मुस्कान या यूंँ कहें कि मुट्ठी भर धूप फैला जाती है। 

‘फुलस्टॉप’ कहानी जीवन में अति महत्वाकांक्षी होने से बचने का ख़ूबसूरत संदेश देती है। अस्मि की अति महत्वाकांक्षाएंँ उसकी अपनी बेटी का बचपन लील जाती हैं, पर यहीं से वह फिर फुलस्टॉप लगा जीवन का नया पैरा लिखने का संकल्प लेती है। 

‘उजास’ कहानी आत्मीय रिश्तों की मधुर यादों से गढ़ी कहानी है। ज़िन्दगी में किसे अपनाना है, किसे छोड़ना है, इस निर्णय के लिए साहस और हिम्मत से बड़ा मोल चुकाना होता है और कहानी की नायिका निर्णय लेने के बाद स्वयं में सुकून महसूस करती है। 

‘चाँद मुस्कुराता रहा’ कहानी भावनात्मक द्वंद्व और जद्दोजेहद की व्यस्तता में भी प्यार के चाँद से जीवन को ऊर्जा से भर रोशन करने की प्रेरणा देती कहानी है। इस कहानी में चाँद का ख़ूबसूरत प्रतीक और प्रेम संदर्भ में उसका अंत तक निर्वहन करती प्रयोग शैली अनूठी है। 

‘नई भोर’ कहानी में गांँव की परंपरा, वातावरण को जीवंत रूप में चित्रित किया गया है और उर्मिला काकी की सूझबूझ गाँव की पढ़ी लिखी बहू के जीवन के साथ पूरे गांँव में साक्षरता की भोर ले आती है। 

‘संजीवनी’ जीवन से निराश होने वाले सभी मनुष्यों के लिए संजीवन संदेश देते हुए दूसरों की अपेक्षाओं के खाँचे में स्वयं को बैठाने की बाध्यता से मुक्त होने की प्रेरणा देते हुए कहती है, “ज़िन्दगी तुम्हें मिली है, तुम्हारे लिए . . . जो तुम्हें पसंद नहीं करते उनसे सामंजस्य बिठाना, न मिले दिल तो दूर हो जाओ लेकिन कोई भी कारण अपनी ज़िन्दगी समाप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं होता . . .।” और यह संदेश ऐसे पात्र के द्वारा दिया गया है, जिसे अपने ही आत्मीय ने मारने की कोशिश की थी। 

‘मन बैरी मन मीत’ कहानी में दुर्घटना ग्रस्त कृति को बाँह न होने पर भी ख़ुशी-ख़ुशी संस्था में पेंटिंग बनाने वाली मेघा प्रेरणा बन जीवन संदेश दे जाती है कि हारते तब हैं, जब हार मान लेते हैं और कृति आत्मविश्वास से भर जीवन में आगे बढ़ जाती है। 

‘पूरा चाँद अधूरी बातें’ नियति की डोर से खिंचते आगे बढ़ने में लम्हों के फिसलने, पीछे छूट जाने के मलाल का रोचक क़िस्सा है। 

संकलन की कहानियांँ अपनी सरल भाषा द्वारा जटिल विडंबनाओं की गुत्थी सुलझाते हुए कथा-शिल्प का एक ऐसा अलग रूप प्रस्तुत करती है, जो सामान्यतः कथाकारों में नहीं देखा जाता। पाठक के साथ कहानी का तादात्म्य ही वह सच्ची कसौटी है, जिस पर किसी भी रचना कर्म की विश्वसनीयता को परखा जा सकता है। इस कसौटी पर भावना सक्सेना जी की कहानियांँ खरी उतरती हैं। 
सीधे-सरल वाक्यों में वक्रता और कहीं-कहीं व्यंग्य उत्पन्न करने की कला में लेखिका दक्ष है। 

स्वच्छ भारत पर सरलता से किया व्यंग्य देखिए, “यहांँ-वहाँ मूँगफली के छिलके भी धूप खा रहे थे और स्वच्छता की शपथ कहीं उनके बीच पड़ी कुनमुना रही थी।”

तरल संवेदना और अनुभूति के गहरे अहसास से उपजी सभी कहानियांँ पाठक के मन-मस्तिष्क पर पड़े आभिजात्य के कोहरे को हटा अपने यथार्थ के दर्पण में अपने ही भीतर गहराते रिश्तों, संबंधों की सच्चाई का सामना कर अपने प्रति ईमानदार रहने की प्रेरणा देती हैं। 

कहानियों का कथ्य, शिल्प और कहन‌ सुंदर है। भाषा सरल, व सहज है। सभी कहानियों के कथ्य में विविधता है। हर कहानी में एक अलग कथ्य उभरता है जो विशेष रूप से सराहनीय है। लेखिका क्लिष्ट शब्दों के प्रयोग से बची है, जो कहानी की सफलता का कारण भी है। 

‘नर्म फाहे’ कहानी संग्रह लेखिका की गहरी संवेदनशीलता को रेखांकित करने में पूर्णतः समर्थ है। यह संवेदना पारिवारिक जीवन, सामाजिकता और आसपास के परिवेश से प्रेरित है। सभी कहानियांँ पठन-पाठन के धरातल पर खरी उतरती हैं और पाठक के मन मस्तिष्क पर एक गहरा प्रभाव भी छोड़ती हैं। 

प्रस्तुत संग्रह भावना सक्सेना जी की रचनात्मक साधना का सशक्त प्रमाण है। संग्रह का सुधि पाठकों द्वारा स्वागत होगा ऐसा मेरा दृढ़ मत और विश्वास है। 

शकुंतला मित्तल, गुरुग्राम शिक्षाविद एवं साहित्यकार
 

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