अनछुई छुअन
कविताअनछुई छुअन का मीठा
अहसास हो तुम
दूर होकर भी
मेरे पास हो तुम...
मेरे भी नहीं
अजनबी भी नहीं
मेरी जन्मों की
अबूझ प्यास हो तुम
दूर होकर भी ......
मैं इठलाती लहर
मेरे सागर हो तुम
मैं अनकहा सुर
मेरी सरगम हो तुम
दूर होकर भी
मेरे पास हो तुम
अनछुई छुअन का
मीठा अहसास हो तुम |