अधिकार और समर्पण

09-01-2008

अधिकार और समर्पण

अमित शर्मा

हमेशा अपना कहा
मुझे तुमने
और हमेशा अपना माना
तुम्हें मैंने
अंतर है क्या कुछ इस में? 
हाँ, अंतर है
“कहने” में अधिकार है
और “मानने” में समर्पण! 
 
जो है अधिकार मेरा
क्यों माँगूँ मैं
भीख सा
जो है अधिकार मेरा! 
क्यों स्वीकारूँ मैं
दया सा
आत्म सम्मान है मेरा! 
क्यों समझते हो
स्वयं को
सबका सर्वेसर्वा! 
मैं जन्मा नहीं
जन्मी हूँ मैं
तो कोई
अपराध नहीं है
एक मानव हूँ मैं
और अधिकार है मेरा
पाना एक मानव का सम्मान! 

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