आई दिवाली!
रंजना जैनआई दिवाली रौशन कर लो अपना घर चौबार
दूर करो अंदर बाहर से अंधकार सौ बार!
इधर उधर देखो दीपों की अवली
तारों सी चमके है हर एक नगरी
रंगोली के विविध रंगों ने किया समां गुलज़ार
दूर करो अंदर बाहर से अंधकार सौ बार!!
ख़उशियों ने सुंदर फुलझड़ी जलाई
अनारों ने भी अपनी रंगत दिखाई
चर्खी ने भी घूम-घूम कर धूम मचाई अपार
दूर करो अंदर बाहर से अंधकार सौ बार!!
मिष्टी पकवानों की ख़ुशबू है आई
पूजा इबादत ने शोभा बढ़ाई
प्यार बाँटती उजला करती देती शुभ संस्कार
दूर करो अंदर बाहर से अंधकार सौ बार!!