छांग्या-रुक्ख

छांग्या-रुक्ख

छांग्या-रुक्ख

सुभाष नीरव

 

पंजाबी की पहली दलित आत्मकथा

मूल लेखक: बलबीर माधोपुरी

हिन्दी अनुवाद: सुभाष नीरव

जुलाई 1955 को पंजाब के ज़िला–जालंधर के गाँव माधोपुर में जन्मे बलबीर माधोपुरी मूलत: कवि हैं। दलित चेतना और संवेदना के माध्यम से समकालीन पंजाबी साहित्य में इन्होंने अपना अनुपम स्थान बनाया है। इनकी सात मौलिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें कविता की दो मौलिक पुस्तकें – “मारुथल दा बिरख” और “भखदा पताल” और आत्मकथा “छांग्या रुक्ख” प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त दो दर्जन से अधिक पुस्तकों का पंजाबी में अनुवाद और इतनी ही पुस्तकों का संपादन भी किया है। अपने साहित्यिक सृजन के बलबूते यह नेपाल और पाकिस्तान में आयोजित सार्क सम्मेलनों में भी शिरकत कर चुके हैं।

बलबीर माधोपुरी की सृजन–प्रक्रिया को शिखर तक पहुँचाने वाली इनकी पुस्तक “छांग्या रुक्ख” (आत्मकथा) के पाँच संस्करण पंजाबी में और एक हिन्दी में प्रकाशित हो चुका है और अन्य कई भारतीय भाषाओं सहित अंग्रेज़ी में आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस से यह पुस्तक शीघ्र प्रकाश्य है।

संप्रति : एक्जीक्यूटिव एडीटर– योजना (पंजाबी), भारत सरकार, नई दिल्ली। 

 

 

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