वसंत

जागृति शुक्ला (अंक: 272, मार्च प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

मृदुल वसंत अब आएगा। 
जीवन में ख़ुशियाँ लाएगा॥

कोयल के मीठे गीत सुनाने वाला, 
प्रकृति के सौंदर्य को सजाने वाला। 
मुरझाई धरती को हरा बनाने वाला, 
आमों में बौर लगाने वाला।
 
मृदुल वसंत अब आएगा। 
जीवन में ख़ुशियाँ लाएगा॥
 
शुरू हुई स्वागत की तैयारी, 
माँ सरस्वती पूजन की आई बारी। 
सबके मन में अतुलित उल्लास, 
ख़ुशियाँ आएँगी जीवन में ख़ास॥
 
वसंती रंगों से सब भर जाएगा। 
मृदुल वसंत अब आएगा॥
 
होने लगी अब शिव-बरात की तैयारी, 
गौरी-शिव का ब्याह रचाए दुनिया सारी। 
अबीर-गुलाल उड़ा विवाह-उत्सव हैं मनाते, 
फागुन में सब रंग-बिरंगे हो जाते॥
 
सबके मन में स्फूर्ति अब लाएगा। 
मृदुल वसंत अब आएगा॥
 
चिड़ियाँ, मोर, पपीहा और कोयल बोले, 
दनुज-मनुज, जीव-जंतु सब ख़ुश हों डोले। 
मोर चहक नाच रहे हैं वन-उपवन में, 
कुसुम जैसी ख़ुशबू महके जीवन में॥
 
श्रेष्ठ हुआ जीवन, अब आनंद पाएगा। 
मृदुल वसंत अब आएगा॥

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