पुकार
गौरीकष्ट में मनुष्य के
बंद मत ये द्वार कर
दुसाध्य है ये मार्ग तो
साथ चल के साध्य कर
तू न अब कठोर बन
आस की तू डोर बन
जो हो तुम मनुष्य तो
मनुष्य की मिसाल बन॥
हाथ में न हाथ दे
फिर भी तू साथ दे
मुँह न फेर देख तू
दिल का है नेक तू
परिस्थिति की माँग बन
वक़्त की पुकार बन
जो हो तुम मनुष्य तो
मनुष्य की मिसाल बन॥
विश्व का यह देख दृश्य
छुपा हुआ विषाणु अदृश्य
किया हुआ ये भोग है
न कि ये संजोग है
साथ मिल सहयोग कर
वक़्त की तू माँग बन
जो हो तुम मनुष्य तो
मनुष्य की मिसाल बन॥
रक्त का तू दान कर
वित्त का तू दान कर
प्राण वायु के लिए
वृक्ष तू दान कर
अन्न महादान कर
दान कर महान बन
जो हो तुम मनुष्य तो
मनुष्य की मिसाल बन॥
तब तो क्रांति आएगी
विश्वशांति लाएगी
एकता में शक्ति है
सिद्ध फिर हो जाएगी
'वसुधैव कुटुंबकम्' ही
है हमारा मूल धन
जो तुम मनुष्य तो
मनुष्य की मिसाल बन॥