फूलों की सीख
प्रकाश चण्डालियाफूलों से कुछ सीख न सके जब,
सीखो काँटों से जीवन
जिसकी कटु सी कोख में रह
कैसे मुस्काता है उपवन।
उपवन है मधुरिम कैसा
पर मिला कटु काँटों का प्यार
काँटे काट, लहू बहा दें,
और न जानें कछु का सार।
तौ पर भी वह मुस्काता है
लेकर काँटों की ही खार
किस्मत है खुश इसकी कितनी
बन पड़ता यही गले का हार।