जो वफ़ा की बात करते हैं

23-02-2017

जो वफ़ा की बात करते हैं

रामश्याम ‘हसीन’

 

जो वफ़ा की बात करते हैं, वफ़ादारी नहीं
ऐसे लोगों से हमारी दूर तक यारी नहीं
 
हैं यहाँ कुछ लोग, जो रखते है हम से रंजिशें
नाम भी उनका अगर लें तो समझदारी नहीं
 
कौन-सी ये जंग हम-तुम उम्र भर लड़ते रहे
हमने भी जीती नही जो, तुमने भी हारी नहीं
 
अपनी इस ग़ैरत के कारण आज तक ज़िन्दा हूँ मैं
वर्ना कुछ लालच नहीं है, कोई लाचारी नहीं
 
ज़िन्दगी जीना है तो फिर ज़िन्दगी-सा जी इसे
ज़िन्दगी मर-मर के जीने में तो हुशियारी नहीं

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें