शॉर्लट ब्रांटे की अमर कथाकृति : जेन एयर

04-02-2019

शॉर्लट ब्रांटे की अमर कथाकृति : जेन एयर

डॉ. एम. वेंकटेश्वर

“जेन-एयर” अंग्रेज़ी की सुविख्यात लेखिका शॉर्लट ब्रांटे द्वारा रचित सर्वकालिक लोकप्रिय उपन्यास है। यह उपन्यास कथा नायिका ”जेन एयर” के जीवन की संघर्ष गाथा है। विश्व कथा साहित्य की अविस्मरणीय स्त्री पात्रों में अन्ना केरेनीना (अन्ना केरेनीना), नताशा (वार एंड पीस), स्कार्लेट ओहारा (गॉन विथ द विंड), टेस (टेस ऑफ़ डर्बरविल), कैथरीन (वुदरिंग हाइट्स) प्रमुख रूप से उल्लेखनीय हैं। “जेन एयर” उपन्यास की नायिका “जेन” भी ऐसी ही संघर्षशील असाधारण पात्र है जो अपने अभिशप्त तिरस्कृत जीवन को अपने सुदृढ़ आत्मविश्वास और विलक्षण चारित्रिक विशिष्टताओं से सार्थकता प्रदान करती है। जेन एयर, स्त्री के नैतिक बल, और प्रेम के आदर्श को प्रस्तुत करने वाली महान कथाकृति है। यह उपन्यास नियतिवादी दर्शन को प्रमुखता से प्रतिपादित करता है। उन्नीसवीं सदी का प्रारम्भिक दौर अंग्रेज़ी कथा साहित्य में विक्टोरियन युगीन सामाजिक संस्कृति के कलात्मक वर्णन का युग था। इस युग के अंग्रेज़ी कथा उपन्यासों में इंग्लैंड के अँचलों में व्याप्त नैसर्गिक सौन्दर्य में निर्मित परकोटों से घिरे विशाल मध्ययुगीन अट्टालिकाओंऔर हवेलियों पनपती सामंती संस्कृति का मोहक चित्रण मिलता है। उन्नीसवीं सदी के अंग्रेज़ी समाज में एक ओर अभिजात वर्चस्व अपने पूरे राजसी वैभव के साथ विलासपूर्ण जीवन बिता रहा था तो दूसरी ओर इस समाज के अधीन गुलामी की दशा में उनका सेवक वर्ग, उनके अन्यायपूर्ण अत्याचार को सहन करने के लिए विवश था। नारी का शोषण हर युग में हर समाज में एक जैसा ही होता रहा है। इंग्लैंड की नारी भी सदियों से दासता और दमन की शिकार रही है। स्त्री के शोषण की करुण कथाओं से अंग्रेज़ी कथा साहित्य भी भरा पड़ा है।

“जेन-एयर” सन् 1867 में इंग्लैंड की लेखिका शॉर्लट ब्रांटे (1816-1855) द्वारा रचित मार्मिक उपन्यास है जो तत्कालीन अभिजात वर्ग में व्याप्त विसंगतियों एवं अंतर्विरोधों का चित्रण नैतिक आदर्शों के परिप्रेक्ष्य में करता है। शॉर्लट ब्रांटे ने चार उपन्यासों की रचना की थी, जो क्रमश: जेन एयर (1847), शर्ले (1849),विल्लेट (1853) और द प्रोफेसर (मरणोपरांत 1857) हैं। द प्रोफेसर की रचना वास्तव में जेन एयर उपन्यास से पहले की गई थी किन्तु प्रारंभ में इसे प्रकाशकों ने छापने से मना कर दिया। शॉर्लट ने “एम्मा” नामक उपन्यास की रचना शुरू की थी लेकिन वह अधूरा ही रह गया। 

शॉर्लट ब्रांटे की अन्य दोनों बहनें, एमिली और ऐन भी अपने विलक्षण लेखकीय कौशल से अंग्रेज़ी कथा-साहित्य में चिरस्थाई प्रतिष्ठा हासिल करने में सफल हुईं। ये तीनों अंग्रेज़ी साहित्य में ब्रांटे सिस्टर्स के नाम से प्रख्यात हैं। एमिली ब्रांटे अपने एक मात्र उपन्यास “वुदरिंग हाइट्स” (1847) के लिए विश्व प्रसिद्ध हुईं। शॉर्लट का जन्म इंग्लैंड के यॉर्क शायर अँचल के थोर्नटन गाँव में सन् 1816 में एक अत्यंत निर्धन परिवार में हुआ। ब्रांटे परिवार का जीवन प्रारम्भ से ही अत्यंत अभावग्रस्त एवं संघर्षमय रहा। इंग्लैंड के ग्रामीण अँचल में निरंतर बरसने वाले बादलों के नीचे, लगातार चलने वाली ठंडी हवाओं के मौसमी वातावरण में छोटी-छोटी पहाड़ियों के बीच बसे गाँव में निर्धनता और अभावों के मध्य ब्रांटे परिवार का जीवन यापन अत्यंत दुर्वह था। उस गीले ठंडे वातावरण में अधिकतर लोग क्षय रोग से संक्रमित हो जाते थे, जिसका कोई निदान नहीं था। शॉर्लट, एमिली और ऐन तीनों की मृत्यु कम उम्र में क्षय रोग से हो गई। इनसे पूर्व, इनकी दो अन्य बहनें, मारिया और एलिज़ाबेथ को भी इसी घातक रोग ने ग्रस लिया। शॉर्लट के माता-पिता ने ग़रीबी के कारण ब्रांटे बहनों को बहुत ही अभावग्रस्त और दयनीय दशा में चलने वाले स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा। उस स्कूल की दुर्दशा और दूषित वातावरण का असर वहाँ के छात्रों के स्वास्थ्य पर पड़ता और वे बीमार पड़ जाते थे। उसी स्कूल के वातावरण से अपनी एक बेटी की मृत्यु से भयभीत होकर शॉर्लट और एमिली को उनके पिता ने उन्हें उस स्कूल से निकालकर दूसरे स्कूल को भेजा। शॉर्लट ने अपने इसी स्कूली जीवन की करुण स्मृतियों को अपने उपन्यास ”जेन-एयर” में मार्मिकता से चित्रित किया। 

“जेन-एयर” उपन्यास का प्रथम प्रकाशन सन् 1847 (16 अक्तूबर) में ”जेन एयर : एन ऑटोबायोग्राफी” के नाम से लंदन में हुआ। शॉर्लट ब्रांटे इसे ने पहले “क्यूरर बेल” उपनाम से प्रकाशित किया, किन्तु आगे चलकर यह उपन्यास शॉर्लट ब्रांटे की ”जेन-एयर” के नाम से ही लोकप्रिय हुआ। जेन एयर इस उपन्यास की नायिका है जो पाठकों को अपने जीवन की कथा स्वयं सुनाती है। लेखिका ने आत्मकथात्मक शैली में इस उपन्यास की रचना की है जिसमें वह नायिका “जेन” के आत्मसंघर्ष के करुण पक्ष को उद्घाटित करती है। स्त्री-वादी आंदोलनों के संदर्भ में यह उपन्यास इंग्लैंड की सामंती परंपरा में उत्पीड़ित एक अनाथ बालिका के जीवन संघर्ष को सशक्तता से प्रस्तुत करता है। इंग्लैंड में स्त्रीवादी चिंतन परंपरा के उदय से काफ़ी पहले उन्नीसवीं सदी के पूर्वार्ध में ही अनेक लेखिकाओं ने सशक्त स्त्रीवादी उपन्यासों को रच दिया जो कालांतर में स्त्रीवादी चिंतन परंपरा को बल प्रदान करने में सहायक हुए। विश्व साहित्य में जेन ऑस्टिन, शॉर्लट ब्रांटे, एमिली ब्रांटे, पर्ल एस बक आदि लेखिकाओं ने अपने सशक्त नारी पात्रों के माध्यम से स्त्रीवादी अभियान को सार्थकता प्रदान की। शॉर्लट ब्रांटे ने एक प्रखर परंपरावादी, नैतिकवादी, मानवीय मूल्यों की प्रबल पक्षधर के रूप में ख्याति अर्जित की। शॉर्लट ब्रांटे अपने जीवन में धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी। उसकी यह प्रवृत्ति जेन एयर के स्वभाव में स्पष्ट दिखाई देती है। लेखिका को व्यक्ति से अधिक समष्टि प्रिय है इसीलिए वह सामाजिक मान-मर्यादा और विवाह के नैतिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध है, इसका प्रणाम जेन के चरित्र में मुखर रूप से चित्रित हुआ है। प्रस्तुत उपन्यास प्रेम, विवाह, कर्तव्य, सेवा, त्याग के चारित्रिक गुणों को नारी सुलभ कोमलता के साथ संपृक्त कर एक अनुभूतिजन्य कथालोक का सृजन करता है। यह उपन्यास इंग्लैंड के विक्टोरियन युग के सामंती समाज में व्याप्त आत्ममुग्धता और अहंकारयुक्त अनैतिक व्यावहारिकता का वर्णन प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करता है। मध्ययुगीन यूरोपियन वास्तुकला के अद्भुत रूप उस काल के कतिपय उपन्यासों में प्राप्त होते हैं। इसी परंपरा में निर्मित और सुसज्जित भव्य अट्टालिकाओं में छिपे रहस्यों को भी रोमांचक ढंग से यह उपन्यास चित्रित करता है। दुर्ग जैसी इन भव्य अट्टालिकाओं में अनेक सनसनीखेज कहानियाँ जन्म लेती हैं जिनमें उन अट्टालिकाओं के मालिकों के जीवन के रहस्य छिपे रहते हैं।

जेन एयर में नायिका जेन की नैतिक मान्यताओं को लेखिका, विक्टोरिया युगीन समाज में सार्थक सिद्ध करती है। “जेन” व्यक्तिगत सुख और विवाहेतर संबंध की अपेक्षा, पारंपरिक नैतिक मूल्यों के अनुसार अपने जीवन को ढालने का संकल्प करती है। विवाह की वेदी पर वह प्रेमी के झूठा सिद्ध होने पर वह प्रेमी को त्याग देती है। “जेन” की इस संवेदना को शॉर्लट ब्रांटे ने अत्यंत बारीक़ी से उपन्यास में वर्णित किया है। लेखिका ने इस उपन्यास के द्वारा समाज में नैतिकतावादी दर्शन को स्थापित करने का प्रयास किया है। जेन एयर का नैतिक आदर्शवाद उसके चरित्र का सबसे शक्तिशाली पक्ष है। वह धर्म, कला, संस्कृति और मानवीय आचरण आदि सभी तत्वों का अनुशीलन करती है। उपन्यास में जेन एयर की लड़ाई समाज से अपनी व्यक्तिगत स्वतन्त्रता और स्वच्छंदता की है। वह स्त्री को समाज के हर तरह के शोषण और बंधन से मुक्त कर देना चाहती है। जेन एयर का संघर्ष अनाथालयों में अनाथ बालिकाओं के साथ होने वाले अत्याचारों के विरुद्ध है। जेन एयर का संघर्ष, शॉर्लेट ब्रांटे का अपना संघर्ष था जो इस उपन्यास में मुखर हो उठा है। शॉर्लेट ब्रांटे, जेन एयर के रूप में पाठकों को संबोधित करती है। समूचे उपन्यास में लेखिका की उपस्थिति बनी रहती है किन्तु जेन एयर ही कथा-वाचिका है। उपन्यास की कहानी उत्तरी इंग्लैंड के एक अँचल में घटित होती हैं। कथानक में वर्णित काल, इंग्लैंड पर सम्राट जॉर्ज तृतीय (1760-1820) का शासन काल है। 

उपन्यास का प्रारंभ जेन एयर के शब्दों में बाल्यावस्था की घटनाओं के वर्णन से होता है। दस वर्ष की जेन एयर को उसके माता-पिता की आकस्मिक मृत्यु के कारण उसे उसके दिवंगत मामा मिस्टर रीड की पत्नी साराह रीड के संरक्षण में उनके विशाल निवास ”गेट्सहेड हॉल” में रखा जाता है। जेन की मामी साराह रीड को जेन फूटी आँख भी नहीं सुहाती। वह, उसके बच्चे सभी जेन को प्रताड़ित करते हैं। जेन एयर अपने मामा, मिस्टर रीड की प्रिय पात्र थी। वे उसके प्रति दयालुता का भाव रखते थे, इसीलिए उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार जेन को रीड्स परिवार में रहना पड़ता है। जेन की मामी साराह रीड, जेन को परिवार पर बोझ मानती थी। वह जेन के साथ अत्याचारपूर्ण व्यवहार करती थी। वह अपने बच्चों को जेन से दूर रखने के लिए उसे हठी और झूठी सिद्ध करती है। साराह और उसके तीनों बच्चे जेन से नफ़रत करते हैं और उसके मनोबल को तोड़ने के लिए नाना प्रकार के षडयंत्र रचते हैं। उस घर की गवर्नेस बेस्सी ही उसकी एक मात्र शुभचिंतक थी जिसके मन में उसके लिए थोड़ी सी करुणा थी। रीड्स परिवार के दुर्व्यवहार से बेस्सी ही उसकी रक्षा करती थी। उस घर में जेन के लिए जगह नहीं थी, वह अपनी छोटी सी गुड़िया और किताबों के संग एकाकी दुनिया में खोई रहती। एक दिन साराह के पुत्र जॉन से उसकी लड़ाई हो जाती है। जॉन उसे ख़ूब मारता है, जब वह अपना बचाव करती है तो उसे ही दोषी ठहराकर उसे इमारत की ऊपरी मंज़िल पर स्थित उसी शयन कक्ष में बंद कर दिया जाता जिसमें उसके मामा ने प्राण त्यागे थे। जेन उस डरावने शयनागार में मामा के भूत की कल्पना करके डर के मारे बेहोश हो जाती है। दूसरे दिन उसकी भयाक्रांत मनोदशा के उपचार के लिए डॉक्टर लॉयड को बुलाया जाता है। जेन गेट्सहेड हॉल में उसके असंतुष्ट मानसिकता को डॉक्टर के सामने व्यक्त करती है। डॉक्टर लॉयड, साराह रीड को, जेन को बोर्डिंग स्कूल भेज देने की सलाह देते हैं। साराह, लॉयड की इस सलाह से ख़ुश हो जाती है और इसी बहाने वह जेन को अपने घर से निकाल बाहर करने की योजना बनाती है। डॉक्टर लॉयड के सुझाव के अनुसार जेन एयर को लोवुड स्कूल नामक एक अनाथालय में भेज दिया जाता है। लोवुड स्कूल दीन-हीन ग़रीब बालिकाओं के लिए स्थापित एक अनाथालय था, जो ब्रोकलहर्स्ट नामक एक क्रूर और निर्दयी अधिकारी के अधीन था। साराह रीड, जेन को ब्रोकलहर्स्ट के हवाले करते हुए उसका परिचय एक ज़िद्दी, अशिष्ट, झूठी और धोखेबाज़ लड़की के रूप में देती है। ब्रोकलहर्स्ट जेन के प्रति कठोर और क्रूर व्यवहार करता है। जेन एयर, अपने मामा एडवर्ड रीड के घर से अपमानित होकर लोवुड स्कूल के निराशाजनक अँधेरे ठंडे कमरों में धकेल दी जाती है। लोवुड स्कूल ग़रीब अनाथ बालिकाओं के लिए ही बना था जहाँ बालिकाओं का जीवन अत्यंत दयनीय स्थिति में गुज़रता था। भयानक ठंड, भूख और बीमारियों से ग्रस्त उस अनाथालय में जेन एयर का जीवन दूभर हो जाता है। वहाँ छोटी-छोटी भूलों के लिए छात्राओं को कठोर दंड दिए जाते थे। ब्रोकलहर्स्ट द्वारा जेन के स्वभाव और आचरण के संबंध में दुष्प्रचार करने के कारण छात्रावास की सारी छात्राएँ उससे नफ़रत करने लगती हैं। वहीं हेलेन बर्न्स नामक एक दयालु छात्रा से जेन की मित्रता हो जाती है। हेलेन आध्यात्मिक प्रवृत्ति की सरल बालिका थी, जो अनाथालय के दंड को दार्शनिक मुद्रा में स्वीकार कर लेती थी और जेन को भी धैर्य और धीरज का पाठ सिखाती थी। वह जेन को, ब्रोकलहर्स्ट के अन्यायपूर्ण दंड को सहने का धैर्य भी प्रदान करती। उस उदास और अंधकार से भरे अनाथालय में ठंडे कमरों में ठंड से बचने के लिए पर्याप्त साधन नहीं थे। वहाँ अत्यंत घटिया और दूषित भोजन खिलाया जाता था जिससे छात्र अक्सर बीमार रहते थे। भीषण ठंड और भूख के कारण टाइफ़स की बीमारी से बेबस बालिकाएँ दम तोड़ रहीं थीं। ब्रोकलहर्स्ट का भ्रष्ट प्रशासन इसके लिए ज़िम्मेदार था। इन्हीं स्थितियों में जेन की आत्मीय सहेली हेलेन बर्न्स भी टाइफ़स का शिकार होकर दुनिया से चल बसती है।

अनाथालय की बुरी हालत और ब्रोकलहर्स्ट की तानाशाही की ख़बर जब न्यास के सदस्यों को मिलती है तो वे अनाथालय का कायाकल्प करते हैं, साथ ही ब्रोकलहर्स्ट को वहाँ से निकाल दिया जाता है। स्कूल के लिए नई और बेहतर इमारतें बनाई जातीं हैं और आवासीय सुविधाओं में वृद्धि की जाती है जिससे छात्रों को राहत मिलती है। 

लोवुड स्कूल में जेन एयर के दयनीय जीवन के वर्णन में लेखिका शॉर्लट ब्रांटे ने स्वयं अपने स्कूली छात्रावास के अनुभवों को चित्रित किया है। हेलेन बर्न्स, शॉर्लट की बड़ी बहन मारिया का प्रतिरूप है जो स्वयं छात्रावास में क्षयरोग से ग्रस्त होकर मर चुकी थी। 

जेन-एयर, लोवुड स्कूल के अनाथालय में आठ वर्ष बिताती है, अंतिम दो वर्ष वह अध्यापिका के रूप में छात्रों को पढ़ाती थी। उस स्कूल की उसकी हितैषी और भरोसेमंद मित्र, मिस टेंपल के सुझाव से जेन गवर्नेस की नौकरी के लिए विज्ञापन देती है। उसे शीघ्र थोर्न फील्डहॉल नामक एक संपन्न कोठी की बुजुर्ग हाउस-कीपर, एलिस फेयरफैक्स का पत्र पाप्त होता है जिसमें उसे गवर्नेस की नियुक्ति की ख़बर होती है। जेन एयर, जिस उन्मुक्त स्वतंत्र आत्मनिर्भर जीवन की कल्पना किया करती थी उसे वही जीवन प्राप्त होने जा रहा था। वह अपने नए जीवन में प्रवेश करने के लिए लालायित थी। उसे उसके छात्र लोवुड स्कूल से भावभीनी विदाई देते हैं। वह लंबी यात्रा करके थोर्न फील्ड पहुँचती है। वहाँ उसकी आगवानी एलिस फेयरफैक्स गर्मजोशी से करती है। जेन थोर्न फील्ड हॉल की परकोटे से घिरी विशाल मध्ययुगीन कोठी को देखकर रोमांचित हो जाती है। उस कोठी में कई हिस्से थे जिनमें से अधिकतर कमरे बंद पड़े थे। उस कोठी का भीतरी वातावरण जेन को रहस्यमय लगा। कोठी में कहीं भी उसके स्वामी की उपस्थिति का आभास जेन को नहीं हुआ। जेन एयर थोर्न फील्ड हॉल में एडेल वारेंस नामक एक अल्पवयस्क लड़की को फ्रेंच पढ़ाने और उसकी देखभाल के लिए नियुक्त की गई थी। लोवुड स्कूल के बरसों की अभावग्रस्त निराशाजनक स्थितियों से निकलकर जेन सुविशाल थोर्न फील्ड हॉल में प्रवेश पाकर अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त हो जाती है। वह तब भी अनाथ ही थी, क्योंकि उसका अपना कोई भी नहीं था, किन्तु उसमें अपार जिजीविषा विद्यमान थी। थोर्न फील्ड हॉल में जेन का जीवन नई दिशा में चल पड़ता है। एलिस फेयरफैक्स उसे थोर्न फील्ड कोठी के स्वामी एडवर्ड रोचेस्टर के गंभीर और रौबदार व्यक्तित्व का वर्णन करती है। रोचेस्टर अधिकतर यात्राओं में व्यस्त रहा करते थे और कभी-कभार ही वह उस कोठी में रहने के लिए आते थे। ऐसे में जेन एयर के मन में थोर्न फील्ड हॉल के मालिक के प्रति कौतूहलूर्ण जिज्ञासा का जागना स्वाभाविक था। थोर्न फील्ड उत्तरी इंग्लैंड के ग्रामीण अँचल में रमणीय प्रकृति से घिरा भूभाग था जहाँ दूर दूर तक हरित पहाड़ियाँ फैली हुई थीं। इनके मध्य यत्र-तत्र बहते झरने सहज ही आकर्षण पैदा करते थे। प्रस्तुत उपन्यास में शॉर्लेट ब्रांटे ने उत्तरी इंग्लैंड के इस भूभाग में विस्तरित प्रकृति का बहुत ही विशद चित्रण किया है जो की पाठकों को मोह लेता है। 

जेन एयर कोठी में अपने काम को समाप्त करके अधिकांश समय थोर्न फील्ड हॉल के आसपास के इलाके में फैली पहाड़ियों में दूर दूर तक घूमकर आती रहती थी। ऐसी ही एक ठंडी शाम के धुँधलके में जब वह निकट की पहाड़ी पगडंडी से चलती आ रही थी तभी अचानक पीछे से एक घुड़सवार तूफ़ानी रफ़्तार से घोड़ा दौड़ाता हुआ उसके सामने प्रकट होता है। वेगवान घोड़े के सामने अचानक उत्पन्न अवरोध से घोड़ा बिदक जाता है जिससे घुड़सवार नियंत्रण खो बैठता है और घोड़े पर से गिर पड़ता है। इस आकस्मिक दुर्घटना से जेन हतप्रभ अवस्था में उस घुड़सवार को देखती है। घुड़सवार घोड़े से नीचे गिरकर ज़ख़्मी हो जाता है। वह दूर घबराई हुई उस औरत को पुकारकर उससे परिचय पूछता है और घोड़े पर चढ़ने के लिए उसकी मदद माँगता है। जेन अपने को निकट के थोर्न फील्ड हॉल की नई गवर्नेस बताती है। वह घुड़सवार उसी तेज़ गति से धुँधलके में गुम हो जाता है। जब वह कोठी में दाख़िल होती है तो उसे यह जानकर आश्चर्य होता है कि वह घुड़सवार एडवर्ड रोचेस्टर था, वही थोर्न फील्ड हॉल का स्वामी था। किशोरी बालिका एडेल वारेंस एक अनाथ लड़की थी जो रोचेस्टर के संरक्षण में पल रही थी। रोचेस्टर कोठी में जेन एयर को देखकर उसे उलाहना देता है कि उसके जादू-टोने से ही उसका घोड़ा बिदका था जिस कारण वह घोड़े से गिर पड़ा था। 

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एडवर्ड रोचेस्टर वृहत्काय आकार और आकर्षक चेहरे के साथ अंतर्मुखी, गंभीर प्रकृति का व्यक्ति था। प्रारंभ में जेन उसके सम्मुख सहमी सी दिखाई देती है। उसे अपने गंभीर प्रकृति के मालिक से सहज होने में काफ़ी वक़्त लग जाता है। जेन एयर अपने जीवन के एकाकीपन को किसी से नहीं बाँटना चाहती थी इस कारण उसे रोचेस्टर की गंभीर और अंतर्मुखी और मितभाषी स्वभाव से कोई शिकायत नहीं थी। उपन्यास के इस पड़ाव पर युवा जेन एयर के चारित्रिक गुण धीरे-धीरे प्रकट होते हैं। धीरे-धीरे जेन और रोचेस्टर, दोनों को एक-दूसरे का साथ प्रीतिकर लगता है और वे अधिकतर शामें साथ बिताते हैं। जेन अनुभव करती है कि एडवर्ड रोचेस्टर के व्यक्तित्व में अभिजात शालीनता विद्यमान है किन्तु साथ ही लगता था जैसे वह किसी रहस्य का आवरण ओढ़े हुए अपने में सिमटा व्यक्ति है। उसके चरित्र में दृढ़ता और सामंती दर्प स्पष्ट झलकता है। उसके जीवन में एक मौन एकाकीपन और निराशा झलकती थी जो जेन के लिए पहेली बन जाती है। 

जेन अनुभव करती है कि उस कोठी में कुछ ऐसा रहस्य है जिसे उससे छिपाया जा रहा था। कभी-कभी रातों में थोर्न फील्ड हॉल के गलियारों से विचित्र सी खिलखिलाहट भरी हँसी सुनाई देती थी, जेन इस खिलखिलाहट का सूत्र तलाशने की कोशिश करती है किन्तु उसकी जिज्ञासा को एलिस फेयरफॉक्स यह कहकर दबा देती थी कि रातों में ग्रेस पूल कभी-कभी शराब के नशे में ऐसी हरकतें करती है। एलिस के इस तर्क से जेन आश्वस्त नहीं होती और उसकी बेचैनी बनी रहती है। एक रात जेन को अचानक रोचेस्टर के शयन कक्ष से धुआँ निकलता हुआ देखाई देता है। वह रोचेस्टर के कक्ष में पहुँच कर देखती है कि रोचेस्टर गाढ़ी नींद में पलंग पर सो रहा था और उनका कमरा आग की लपटों में झुलस रहा है। जेन, रोचेस्टर को जगाकर, उसे आग में जलने से बचाती है। दोनों मिलकर शयन कक्ष में लगी आग को बुझा देते हैं। जेन एयर को इस भीषण अग्नि कांड के कारण का पता नहीं चलता। रोचेस्टर इस घटना के प्रति चुप्पी साध लेता है। ऐसी ही एक और रोमांचक घटना उस कोठी में घटती है जब रोचेस्टर के एक मेहमान मित्र मिस्टर मेसन की हत्या का प्रयत्न होता है। मेसन लहूलुहान अवस्था में अपने बिछौने पर पड़ा हुआ मिलता है। रोचेस्टर उसकी चिकित्सा करा कर उसे विदा करते हैं। यह सब जेन एयर देखती रहती है लेकिन उसे कुछ समझ में नहीं आता। उसकी उद्विग्नता बढ़ती जाती है, लेकिन उसके प्रति रोचेस्टर के सद्भावनापूर्ण व्यवहार के कारण वह उसके व्यक्तिगत जीवन को जानने में कोई रुचि नहीं प्रदर्शती करती। 

इन्हीं स्थितियों में जेन एयर को एक पत्र मिलता है जिसमें उसकी मामी साराह रीड अपनी मरणासन्न अवस्था में जेन एयर से मिलने की इच्छा व्यक्त करती है। तत्काल जेन, रोचेस्टर से अनुमति लेकर साराह रीड से मिलने गेट्सहेड के लिए रवाना हो जाती है। मरणासन्न साराह रीड, जेन के प्रति उसके बचपन में उसके द्वारा किए गए दुर्वव्यहार पुर कटुता के लिए माफ़ी माँगती है। वह जेन को उसके चाचा जॉन एयर का एक पत्र देती है, जो उसे जेन को लोवुड स्कूल भेजने के तुरंत प्राप्त हुआ था, जिसमें जेन के चाचा ने जेन को अपने संरक्षण में लेने की इच्छा ज़ाहिर की थी। तब साराह ने उन्हें ईर्ष्यावाश जेन के लोवुड स्कूल में विषैले ज्वर से मरने की ख़बर दे दी थी। साराह की ग़लत सूचना से उसके चाचा जॉन एयर जेन को मृत मान चुके थे। साराह रीड इस सच्चाई को जेन को बताकर अंतिम साँस लेती है। जेन एयर पुन: अपने मुक़ाम, थोर्न फील्ड हॉल लौट आती है। 

इधर थोर्न फील्ड हॉल में रोचेस्टर का एक मित्र परिवार उसके निमंत्रण पर अपने सामंती तामझाम के साथ प्रवेश करता है। अभिजात स्त्री-पुरुषों के इस समूह में विलासी और प्रदर्शन प्रवृत्ति की कामुक महिलाएँ भी मौजूद थीं जिनमें से एक थी ख़ूबसूरत और मादक ब्लेंच इनग्रम, जो रोचेस्टर को लुभाने और उस पर अपना एकाधिकार प्रदर्शित करने के प्रयास में लगी रहती है। जेन एयर को उस कोठी की गवर्नेस के रूप में उस समूह से परिचय कराया जाता है। उन सब शहरी मेहमानों के लिए और ख़ासकर ब्लेंच इनग्रम के लिए जेन एयर का महत्व कोठी की एक सेविका से अधिक नहीं था। ब्लेंच और रोचेस्टर के संबंधों के प्रति जेन एयर सतर्क हो जाती है। एलिस फेयरफैक्स उसे बताती है कि निकट भविष्य में उनके मालिक एडवर्ड रोचेस्टर, ब्लेंच इनग्रम से विवाह करने वाले हैं, और ब्लेंच इनग्रम थोर्न फील्ड हॉल की मालकिन होगी। जेन एयर इस ख़बर से मन ही मन विचलित हो जाती है। अनायास ही जेन के हृदय में रोचेस्टर ने जगह बना ली थी। जेन को आभास होने लगा कि उसने रोचेस्टर की आत्मीयता को अपने प्रति प्रेम की कोमल संवेदना समझ लिया था जो उसे भ्रम सा प्रतीत होने लगता है। जेन के हृदय में अशांति और उद्विग्नता के भाव उठने लगे। थोर्न फील्ड हॉल में कुछ दिन बिताकर ब्लेंच इनग्रम और उसका परिवार अपने लाव-लश्कर के साथ वापस लौट जाता है। 

इसी ऊहापोह में ग्रीष्म की एक शाम थोर्न फील्ड हॉल से बाहर फैले जंगल में एक ख़ूबसूरत झरने के किनारे अपना समय बिताने बैठते हैं तभी रोचेस्टर हल्की मुद्रा में जेन एयर से अपने और ब्लेंच इनग्रम के विवाह का प्रसंग छेड़ता है। वह कहता है कि विवाह के बाद थोर्न फील्ड हॉल में जेन एयर की कमी महसूस करेगा, लेकिन शायद वह उसे बहुत जल्द भूल जाएगी। एडवर्ड रोचेस्टर ऐसा कहकर जेन -एयर की मनोभावनाओं को टटोल रहा था। रोचेस्टर के इस उलाहना भरे वक़्तव्य से जेन एयर आहत होकर आक्रोश से एक बारगी हृदय में दबाए झंझावात को रोचेस्टर के सम्मुख खोल कर प्रकट कर देती है। वह दृढ़ शब्दों में व्यक्त करती है कि उसके भीतर का मनुष्य उससे हीन नहीं है, उसके भी हृदय में प्रेम बसता है और वह प्रेम की अधिकारिणी है। प्रत्युत्तर में रोचेस्टर अपने हृदय में जेन के प्रति बसे प्रेम को भावुकता के साथ व्यक्त करता है। वह स्पष्ट कर देता है कि उसके जीवन को जेन एयर ही सार्थकता प्रदान कर सकती है, ब्लेंच इनग्रम नहीं। उसे जेन एयर की ही प्रतीक्षा थी। वही उसके सूने एकाकी जीवन में उमंग और आशा भर सकती है। रोचेस्टर उसी समय जेन एयर से विवाह का प्रस्ताव कर देता है। जेन, रोचेस्टर के इस आकस्मिक प्रस्ताव से पहले तो चौंक जाती है, कदाचित वह इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए तत्पर नहीं थी परंतु रोचेस्टर के प्रेम निवेदन में ऐसा वह सम्मोहन भारा आग्रह था कि जेन एयर रोचेस्टर को पति के रूप में स्वीकार करने के लिए राज़ी हो जाती है। वह क्षण एडवर्ड रोचेस्टर के लिए अनुपम और स्वर्गीय था। उसी वक़्त जेन एयर इस समाचार को अपने चाचा जॉन एयर, जो कई वर्ष पहले उसे संरक्षण प्रदान करना चाहते थे, उन्हें यह समाचार, पत्र द्वारा भेजती है। वह जीवन के इस महत्वपूर्ण फ़ैसले को किसी से साझा करना चाहती थी। वास्तव में जेन एयर का यह क़दम ही उसके जीवन में भूचाल पैदा कर देता है। इसी पत्र के कारण एडवर्ड रोचेस्टर के जीवन का छद्म प्रकट हो जाता है। थोर्न फील्ड हॉल में जेन एयर और रोचेस्टर के विवाह की तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं। इस विवाह की कल्पना से जेन एयर की शिष्या एडेल वारेंस भी प्रफुल्लित हो उठती है और विवाह की तैयारियों में वह भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती है। रोचेस्टर, जेन और एडेल तीनों विवाह के लिए ख़रीदारी करने के लिए शहर जाते हैं, रोचेस्टर, दुल्हन की पोषाक और साथ में हीरों का एक क़ीमती हार खरीदता है। बालसुलभ चंचलता के साथ एडेल उनकी ख़रीदारी में शामिल होती है। 

विवाह से पहले की एक रात जेन एयर के कक्ष में उसकी निद्रावस्था में कोई घुसकर उसकी दुल्हन के जोड़े को फाड़कर नष्ट करके चला जाता है। जेन इस घटना से किसी अनिष्ट की आशंका से भयभीत हो जाती है। रोचेस्टर किसी तरह जेन को सांत्वना देकर शांत कर देता है। इस घटना के लिए भी रोचेस्टर, कोठी की सेविका ग्रेस पूल की अत्यधिक नशे की अवस्था को ही दोषी ठहराता है। 

अंतत: विवाह का दिन आ पहुँचता है। रोचेस्टर बहुत उत्तेजित और बेचैन दिखाई देता है। थोर्न फील्ड के चर्च में विवाह की रस्म के संपन्न होते ही रोचेस्टर अपनी नई नवेली दुल्हन को लेकर थोर्न फील्ड छोड़कर यूरोप की यात्रा पर निकल जाने की तैयारी कर लेता है। वह अपने अनुचरों से सामान बग्घी पर लादकर प्रस्थान के लिए तैयार रहने की आज्ञा देता है। सुबह होते ही रोचेस्टर, दुल्हन के रूप में सजी जेन एयर को अपने हाथों में थामकर चर्च में प्रवेश करता है जहाँ उन दोनों का विवाह कराने के लिए चर्च के पादरी तैयार खड़े थे। विवाह की रस्म शुरू होती है। पादरी एडवर्ड रोचेस्टर और जेन एयर और को पति-पत्नी घोषित करने ही वाले थे कि अचानक चर्च में एक आगंतुक पहुँचकर पादरी से विवाह रोक देने की माँग करता है। वह आगंतुक, एक वकील था जो यह दावा करता है कि एडवर्ड रोचेस्टर पहले से विवाहित था और उसकी पत्नी जीवित थी, इसलिए उसे पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरा विवाह करने का अधिकार नहीं था। रोचेस्टर पादरी को उस व्यक्ति की बात को अनसुना करके विवाह की रस्म पूरी करने के लिए कठोरता से कहता है। तब वह वकील ब्रिग्स अपने दावे को सत्य सिद्ध करने के लिए अपने मुवक्किल रिचर्ड मेसन को, जो कुछ दिनों पूर्व थोर्न फील्ड हॉल में ज़ख़्मी हो गया था, प्रस्तुत करता है। रिचर्ड मेसन चर्च को बताता है कि रोचेस्टर उसकी बहन बर्था मेसन का पति है और उसकी बहन बर्था थोर्न फील्ड हॉल में ही मौजूद है, इसलिए एडवर्ड रोचेस्टर यह विवाह नहीं कर सकता। जेन एयर के पैरों तले ज़मीन सरक जाती है। वह इस आकस्मिक घटनाचक्र से घबराकर निरुपाय और निश्चेष्ट होकर संज्ञा शून्य हो जाती है। रोचेस्टर, मेसन के दोषारोपण का मुँह तोड़ जवाब देने के लिए क्रोधित होकर वहाँ मौजूद सभी लोगों को उसके साथ उसकी कोठी में चलने के लिए कहता है। वह जेन एयर को घसीटता हुआ सबको साथ लेकर थोर्न फील्ड हॉल के अनावृत्त हिस्से की सबसे आख़िरी मंज़िल पर स्थित एक बंद कोठरी को खोलता है। उस कोठरी के भीतर जंजीरों में जकड़ी एक बदहाल औरत उन्हें देखते ही उन पर हमला करने के लिए झपटती है। 

रोचेस्टर जेन और अन्य लोगों को बताता है कि वही औरत उसकी पत्नी बर्था थी जो कई वर्षों से भयानक मनोरोग से ग्रस्त थी, जो अकसर हिंसक होकर लोगों पर हमला कर देती थी, इसी कारण उसे जंजीर से बाँध कर रखना पड़ा था। ग्रेस पूल ही उस औरत को सँभाल सकती थी, यही उसकी ज़िम्मेदारी थी। रोचेस्टर अपने उस अभिशप्त विवाह की कहानी सबके सामने उद्घाटित करता है। वह औरत जो सामने जंजीरों में बँधी हुई थी वही मेसन की बहन बर्था थी जिसके संग उसका विवाह हुआ था। एडवर्ड रोचेस्टर के पिता ने अपने पुत्र को बहुत बड़ी संपत्ति का उत्तराधिकारी बनाने के लिए जमैका (वेस्ट इंडीज़) स्थित अमीर कारोबारी की रूपवती कन्या “बर्था मेसन“ से विवाह कराया था। विवाह के पश्चात ही रोचेस्टर को बर्था के दुराचरण और उसके मनोरोग का पता चला। उसे ज्ञात हुआ कि उसकी पत्नी को पागलपन के हिंसक दौरे पड़ते हैं। उसका दांपत्य जीवन नष्ट हो गया। ऐसी स्थिति में वह बर्था को लेकर इंग्लैंड लौट गया। इंग्लैंड पहुँचकर वह यॉर्क शायर में स्थित अपनी कोठी थोर्न फील्ड हॉल के एक कोने में सबसे ऊपरी मंज़िल पर बनी एक कोठरी में मनोरोग से ग्रस्त हिंसक पत्नी बर्था मेसन को ग्रेस पूल की निगरानी में बंधक के रूप में रखा था। उसने अपने अभिशप्त दांपत्य जीवन को भुला देने की कोशिश की इसीलिए उसने बर्था को दुनिया से छिपाकर रखा था। किन्तु कभी-कभी रातों में बर्था, शराब के नशे में डूबी ग्रेसपूल को चकमा देकर ज़ंजीर छुड़ाकर कोठरी से बाहर निकल कर कोठी की गलियारों में विकट खिलखिलाहट के साथ भटकती फिरती थी। उसी ने रोचेस्टर के शयन कक्ष में आग लगाई थी और जेन एयर की दुल्हन की पोशाक को तार-तार कर दिया था। रोचेस्टर ने विक्षिप्तऔर हिंसक बर्था और थोर्न फील्ड हॉल से दूर रहने के लिए ही अकसर इंग्लैंड और यूरोप की लंबी यात्राओं में अपना जीवन गुज़ारता था।

जेन एयर एडवर्ड के इस वृत्तान्त को सुनकर निश्चेष्ट और हतप्रभ हो जाती है। उसका मोहभंग हो जाता है और रोचेस्टर के संग सुखद दांपत्य जीवन की कल्पना चूर-चूर होकर बिखर जाती है। वह रोचेस्टर के इस छद्म रूप को स्वीकार नहीं कर पाती। वह रूपवती नहीं थी किन्तु उसमें व्यक्तित्व की दृढ़ता, नैतिक मूल्यों के प्रति आस्था और विवाह की पवित्रता पर उसकी गहरी निष्ठा थी। वह विवाह को एक मर्यादित सामाजिक दायित्व मानती थी और वैवाहिक संबंध में छल-कपट को स्वीकार नहीं कर सकती थी। रोचेस्टर की तुलना में जेन एयर का व्यक्तित्व निष्कपट था, चारित्रिक दृढ़ता और सच्चाई उसकी ताक़त थी। 

लेखिका पाठकों को जेन एयर के माध्यम से यह भी बताती है कि मेसन अपनी बहन का पक्ष लेकर जेन और रोचेस्टर के विवाह को रोकने में कैसे सफल हुआ? वास्तव में जेन एयर ने अपने विवाह का समाचार जब पत्र द्वारा अपने चाचा जॉन एयर को भेजा तो उन्होंने मिस्टर मेसन से, जो उनके मित्र थे, इस विवाह के बारे में ज़िक्र किया। अपने मित्र जॉन एयर से रोचेस्टर के विवाह की ख़बर पाकर रिचर्ड मेसन इस विवाह को रोकने के लिए अविलंब थोर्न फील्ड पहुँचकर विवाह रोकने में सफल हो गया। 
विवाह के भंग हो जाने के बाद रोचेस्टर, आत्मग्लानि और पश्चाताप की पीड़ा से तड़पने लगता है। भोली-भाली निर्दोष और निष्कपट जेन एयर के साथ उसने छल किया था, झूठ बोला था, इसके लिए वह शर्मिंदा होकर अपने पाप का प्रायश्चित्त करना चाहता है। वह किसी भी सूरत में जेन को नहीं खोना चाहता। वह जेन से अपने किए हुए अपराध के लिए माफ़ी माँगता है और दुःख व्यक्त करता है। रोचेस्टर, जेन से बेहद प्यार करता था, वह अपने प्यार की गहराई को भावुक होकर व्यक्त करता है और किसी भी तरह जेन को कम से कम नन्ही एडेल की गवर्नेस के रूप में ही थोर्न फील्ड हॉल में रहने की प्रार्थना करता है। जेन एयर चेतना शून्य होकर अपने किसी मनोभाव को रोचेस्टर के सम्मुख व्यक्त नहीं करती। तब अंत में रोचेस्टर, जेन को दक्षिणी फ्रांस चलकर उसके साथ जीवन बिताने का आग्रह करता है, हालाँकि उनका विवाह नहीं हो सकता था। रोचेस्टर के प्रति जेन अपने निश्छल प्रेम के बावजूद इस अनैतिक और अव्यवहारिक प्रस्ताव को ठुकरा देती है। वह अंतरग्लानि से भर उठती है और चुपचाप आधी रात को बिना किसी को बताए थोर्न फील्ड छोड़ देती है। 

नियति की कुटिलता को स्वीकार करती हुई जेन एयर एक बार फिर अपने एकाकी जीवन को नए सिरे से सँजोने के लिए अनजान राहों पर निकल पड़ती है। वह थोर्न फील्ड से जितनी दूर संभव हो चली जाना चाहती है क्योंकि उसे थोर्न फील्ड हॉल से तीव्र वितृष्णा और नफ़रत हो गई थी। उसके पास के पैसों के किराये से वह जितनी दूर बग्घी से यात्रा कर सकती थी उतनी दूरी उसने बग्घी से तय की और फिर बग्घी वालों ने उसे पहाड़ियों के बीच व्हाइट क्रॉस नामक एक वीरान चौराहे पर उतार दिया। उत्तरी इंग्लैंड की वीरान वादियों में, कभी किसी टीले के नीचे तो कभी किसी गाँव के खंडहर में ठंड और बारिश में भूखी प्यासी जेन आजीविका की तलाश में कई दिनों तक भटकती रही। गाँव के कई घरों और दूकानों में उसने काम माँगा जिससे उसे कुछ पैसे मिलते तो उससे वह अपनी भूख मिटाती लेकिन कहीं उसे कोई काम नहीं मिला। अंत में वह थकी हारी एक गाँव के पादरी के घर की चौखट पर बेहोश होकर गिर पड़ी। पादरी के घर पर न होने से उसकी हाउस-कीपर “हानाह” ने जेन को घर में प्रवेश करने नहीं दिया था। वह मकान ”मूर हाऊस” के नाम से जाना जाता था जिसका मालिक सेंट जॉन रिवर्स नामक एक पादरी था जिसमें वह अपनी दो बहनों, डयाना और मेरी रिवर्स के संग रहता था। सेंट जॉन रिवर्स ने जेन को अपने घर में शरण दी। जॉन ने वादा किया कि वह जेन के लिए काम ढूँढेगा। जेन अपना पूरा नाम जेन इलियट बताती है। कुछ ही दिनों में जेन (इलियट), डयाना और मेरी में घनिष्ठ मैत्री हो गई। वे तीनों ही एक दूसरे का साथ पसंद करते थे। सेंट जॉन ने बहुत बारीक़ी से जेन के स्वाभिमानी और जुझारू स्वभाव को परखा। रिवर्स परिवार ने जेन के विगत जीवन के बारे में जानने की कोशिश नहीं की क्योंकि जेन एयर की गंभीर, शांत और अंतर्मुखी प्रकृति का वे आदर करते थे। कुछ दिनों में जॉन रिवर्स, जेन के लिए पड़ोसी गाँव “मोर्टन” में वहाँ के ग़रीब और अनाथ बच्चों को पढ़ाने के लिए एक ग्रामीण पाठशाला का प्रबंध कर देता है। जेन एयर के एकांतप्रिय स्वभाव के लिए वह जगह बहुत अनुकूल थी। वह उस छोटे से घर में अपना स्कूल चलाने लगी और वहीं उसका जीवन गुज़रने लगा। वह बीती बातों को भुला देना चाहती थी, फिर भी उसे रह-रहकर रोचेस्टर की याद सताती थी। सेंट जॉन उसकी कुशलता पूछने के लिए कभी-कभार आ जाता था। उसे जेन को संतुष्ट देखकर उसके प्रति एक विशेष आदर और अनुराग का भाव जागने लगा। जॉन रिवर्स का जीवन पूरी तरह से गाँव वालों की सेवा और धार्मिक प्रचार के लिए समर्पित था। उसका उद्देश्य, हिन्दुस्तानी सीख कर, हिंदुस्तान (इंडिया) में धर्म प्रचार करना था। उसने जेन से अपने इस उद्देश्य का ज़िक्र कई बार किया। इधर सेंट जॉन की दोनों बहनों को दक्षिणी इंग्लैंड के किसी बड़े शहर में गवर्नेस की नौकरी मिल जाती है जिससे वे लोग मूर हाऊस छोड़कर चले जाते हैं। सेंट जॉन भी हाउस-कीपर “हानाह” को साथ लेकर अपने काम से शहर चला गया। जेन एयर एकांत में अपने भाग्य के बारे में सोचती और उसके जीवन के उतार-चढ़ावों पर विचार करती। उसके जीवन का महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हो चुका था। उसका वीतरागी मन फिर भी रोचेस्टर की ख़बर जानने को बेचैन होने लगा। जेन एयर के अभिशप्त जीवन में और भी कई झंझावाती उतार-चढ़ाव शेष थे। 

शहर में सेंट जॉन को जेन एयर के संबंध में अचानक एक चौंकाने वाली जानकारी हासिल होती है। उसे जेन इलियट का असली परिचय प्राप्त हो जाता है। उसे जॉन एयर के कानूनी सलाहकार मि. ब्रिग्स के जेन एयर के नाम दिए गए एक विज्ञापन से पता चलता है कि जेन एयर के चाचा जॉन एयर की हाल ही में मृत्यु हो गई और उन्होंने बीस हज़ार पाउंड की अपनी विशाल संपत्ति जेन एयर के नाम कर दी। सेंट जॉन, जेन एयर के संबंध में सभी स्रोतों से छानबीन करके अंत में वह जेन इलियट (एयर) के पास पहुँचकर जेन एयर नामक एक युवती की बचपन से उसके थोर्न फील्ड हॉल छोड़कर गुम हो जाने तक की कहानी का वर्णन उसे सुनाता है। मि. ब्रिग्स ने सेंट जॉन से भी जेन एयर नामक किसी महिला के बारे में जब पूछा तो सेंट जॉन, को गाँव में सादा जीवन जीने वाली जेन इलियट का ख़्याल आया और वह जेन को जॉन एयर की संपत्ति की वारिस घोषित करता है। सेंट जॉन की कहानी को सुनकर जेन आश्चर्य चकित हो जाती है। वह स्वीकार करती है कि वही जेन एयर थी। साथ ही वह सेंट जॉन से रोचेस्टर के बारे में जब पूछती है तो सेंट जॉन कहता है कि ब्रिग्स ने केवल जेन एयर का पता लगाने के लिए कहा था और रोचेस्टर से उसका कोई संबंध नहीं था। तभी यह भी मालूम होता है कि सेंट जॉन, डयाना और मेरी सभी उसके मामा की संतान हैं तो इससे वह प्रसन्नता से खिल उठती है। उसे पहली बार जीवन में पारिवारिक रिश्तों का संबल प्राप्त हुआ था जिसका अभाव उसे हमेशा दुःखी करता था। इस अवसर पर जेन एयर चाचा से प्राप्त बीस हज़ार पाउंड की राशि को अपने चारों ममेरे भाई बहनों में समान रूप से चार-चार हज़ार पाउंड के हिसाब से बाँट देती है। वह शहर से अपनी डयाना और मेरी को बुलावा लेती है और अपने निर्णय को उन्हें सुनाती है। सेंट जॉन जेन एयर के इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करता, वह जेन एयर से किसी भी तरह का आर्थिक लाभ नहीं लेना चाहता। बल्कि वह जेन एयर से अपने मन की बात को ज़ाहिर कर देता है। वह जेन एयर से विवाह का प्रस्ताव करता है। वह जेन को साथ लेकर हिंदुस्तान में धर्म प्रचार का काम करना चाहता है। जेन, जॉन के इस प्रस्ताव को खारिज कर देती है और वह विवाह के बिना ही वह जॉन के इस पवित्र कार्य में साथ देने को तैयार हो जाती है। किन्तु सेंट जॉन आस्थावान ईसाई होने के नाते अविवाहित स्त्री को अपने संग धार्मिक कार्य के लिए विदेश ले जाने से इनकार कर देता है और वह अकेला ही हिंदुस्तान चला जाता है। अपनी संपत्ति का बँटवारा करके जेन, डयाना, मेरी और हानाह, सब लोग मिलकर मूर- हाउस की काया पलट कर देते हैं और वे पूरे शानो-शौक़त के साथ जीवन बिताने का निश्चय करते हैं। मूर हाउस को सुस्थिर और सुसंपन्न बनाने के पश्चात जेन एयर अपने प्रेमी एडवर्ड रोचेस्टर को देखने के लिए थोर्न फील्ड हॉल जाने के लिए निकलती है। दो दिनों तक बग्घी में यात्रा करके वह थोर्न फील्ड के नज़दीक पहुँचकर, बग्घी छोड़कर पैदल ही अपनी पुरानी कोठी की दिशा में चल पड़ती है। उसे दूर से किसी ज़माने का वैभवशाली थोर्न फील्ड हॉल खंडहर के रूप में उजड़ा और आग की लपटों में झुलसा हुआ दिखाई देता है। थोर्न फील्ड हॉल की उस भयावह दुर्दशा को दूर से देखकर जेन को रोचेस्टर की चिंता होने लगती है। वह वहाँ उपस्थित एक ग्रामीण से थोर्न फील्ड हॉल के मालिक एडवर्ड रोचेस्टर के बारे में पूछती है। वह ग्रामीण दुःखी स्वर में थोर्न फील्ड हॉल के नाश की कहानी जेन को सुनाता है। उसके अनुसार लगभग दो साल पहले उस हवेली में एक रात भीषण आग लगी गई। उस हवेली के मालिक एडवर्ड रोचेस्टर और हवेली की गवर्नेस के बीच अवैध प्रेम संबंध थे। एक दिन अचानक वह गवर्नेस रोचेस्टर को छोड़कर चली गई। रोचेस्टर की पागल पत्नी “बर्था” ने ही हवेली में आग लगाई थी। रोचेस्टर ने पत्नी को आग से बचाने की कोशिश की लेकिन वह आग की लपटों में हवेली की छत से कूदकर मर गई। जब जेन ने रोचेस्टसर के बारे में पूछा तो उसने बताया की रोचेस्टसर आग में पूरी तरह झुलसकर अंधा हो गया और कुछ लोग कहते थे की वह मर गया लेकिन वह ज़िंदा है। इन दिनों वह यहाँ से तीस मील दूर फर्नडीन गाँव के एकांत में जंगल के बीचों बीच एक छोटे से बंगले में अपने दो पुराने नौकरों जॉन और उसकी पत्नी मेरी के साथ रहता है। क्योंकि थोर्न फील्ड हॉल उजड़कर खंडहर हो गया। 

जेन एयर ने उस ग्रामीण को अपनी गाड़ी में उसे फौरन फर्नडीन ले जाने का अनुरोध किया और बदले में उसे मुँहमाँगी रकम देने का वादा किया। फर्नडीन के झुरमुटों के बीच स्थित वीरान से बंगले में उसने प्रवेश किया। भीतर अँधेरा था। धुँधलके में उसने अपने स्वामी और प्रेमी “एडवर्ड फेयरफैक्स रोचेस्टर” के विकृत चेहरे और ज़ख़्मों से भरे शरीर को देखा। जेन का दिल दहल उठा। जॉन और मेरी, जेन एयर को देखकर चकित हो गए। रोचेस्टर कुछ नहीं देख पा रहा था क्योंकि उसकी आँखें पथरा गई थीं। तभी रोचेस्टर मेरी को आवाज़ देकर पानी माँगता है। मेरी, जब पानी लेकर रोचेस्टर की ओर बढ़ी तो जेन ने उससे ट्रे ले लिया और वह रोचेस्टर के हाथों में पानी का गिलास दे दिया। रोचेस्टर ने उस स्पर्श को पहचानने की कोशिश की। उसने पूछा की यह कौन था? जेन एयर ख़ामोश थी। धीरे से जेन ने अपने दोनों हाथों से रोचेस्टर के हाथों को थाम लिया। रोचेस्टर रोमांचित हो उठा और वह ममता भरे उस स्पर्श को पहचान कर, जेन कह कर चीख पड़ा। उसकी ख़ुशी की सीमा नहीं थी। जेन एयर ने रोचेस्टर को अपने पास खींच लिया और उसने विश्वास दिलाया कि अब वह उसे छोड़ कर कभी कहीं नहीं जाएगी। इस तरह जेन एयर और एडवर्ड रोचेस्टर का मिलन होता है। 

जेन एयर और एडवर्ड रोचेस्टर का विवाह धूमधाम से होता है। जेन एयर थोर्न फील्ड हॉल के वैभव को फिर से बहाल कर देती है। वह अपनी दोनों बहनों, डयाना और मेरी को सपरिवार साथ रहने के लिए आमंत्रित करती है। जेन और रोचेस्टर अपना शेष जीवन अपनी संतान के साथ सुख से बिताते हैं। 

जेन एयर उपन्यास की सबसे बड़ी विशेषता, लेखिका शॉर्लट ब्रांटे की औपन्यासिक शैली है। शॉर्लट द्वारा “जेन-एयर” और “एडवर्ड रोचेस्टर” को अपने विलक्षण लेखकीय कौशल से जिस रूप में प्रस्तुत किया है वह अद्भुत है। लेखिका ने पात्रों के मनोभावों और उनके आपसी रिश्तों को अत्यंत विस्तार से व्याख्यायित किया है। वह प्रत्येक घटना का सूक्ष्म विश्लेषण करती हुई कहानी को उद्घाटित करती है। प्रेम और विवाह के नैतिक और अनैतिक पक्ष की टकराहट को लेखिका ने तार्किक ढंग से सुलझाया है। जेन एयर, सामाजिक,आर्थिक और वैयक्तिक धरातल पर अपनी अस्मिता को सिद्ध करती है। इस संग्राम में वह दैहिक सुखों को त्यागकर अपने नैतिक दायित्व का निर्वाह करती है। यह उपन्यास अपने रचना काल (1847) से ही अत्यंत लोकप्रिय हुआ। जेन एयर उपन्यास की लोकप्रियता में आज भी कमी नहीं आई। 

जेन एयर उपन्यास सन् 1910 से ही फ़िल्म के लिए हॉलीवुड के निर्माताओं की पहली पसंद बन गई। सन् 2011 तक जेन एयर उपन्यास पर बीस से ज़्यादा फ़िल्मों का निर्माण अंग्रेज़ी में हो चुका है। लगभग हर दो-तीन वर्षों में एक बार जेन एयर के भिन्न-भिन्न संस्करण निर्मित होते रहे और सभी लोकप्रिय हुए। इस उपन्यास पर अनेक बार टीवी धारावाहिकों का निर्माण किया गया। फ़िल्मों में उपन्यास की सम्पूर्ण कथा को कभी नहीं फ़िल्माया गया। फ़िल्मों में कहानी का अंत जेन और रोचेस्टर मिलन के साथ ही कर दिया गया। वैसे ही कुछ फ़िल्मों मे कहानी का प्रारम्भ युवा जेन एयर के थोर्न फील्ड हॉल में गवर्नेस के रूप में प्रवेश से होता है। हिंदी में सन् 1952 में इस उपन्यास पर आधारित फ़िल्म “संगदिल” श्वेत-श्याम रंग में बनी, जिसमें रोचेस्टर की भूमिका दिलीप कुमार और जेन एयर की भूमिका को मधुबाला ने बहुत ही ख़ूबसूरती के साथ निभाया। इस फ़िल्म को भारतीय दर्शकों ने बहुत सराहा। इस फ़िल्म में कहानी के अंग्रेज़ी परिवेश को भारतीय परिवेश में रूपांतरित कर दिया गया और सुमधुर गीतों से सजाकर इसे अत्यंत प्रभावशाली बना दिया गया। 

हॉलीवुड के निर्माता हमेशा से इंग्लैंड के देहाती अँचलों की प्रकृति के फिल्मांकन के लिए मशहूर हुए हैं। फ़िल्मों में श्वेत-श्याम और रंगीन, दोनों प्रारूपों में पात्रों के मनोभावों को उद्दीप्त करने वाले परिवेश, अद्भुत प्रभाव पैदा करते हैं। जेन एयर उपन्यास में वर्णित उत्तरी इंग्लैंड की पृष्ठभूमि दृश्यों के रूप में फ़िल्म के पर्दे पर दर्शकों को मोह लेती है। टीवी धारावाहिकों में सन् 1983 में बीबीसी लंदन के लिए जूलियन अमिस द्वारा निर्देशित और बैरी लेट्स द्वारा निर्मित जेन एयर धारावाहिक बहुत चर्चित और लोकप्रिय हुआ। यह धारावाहिक रोचेस्टर के पात्र के लिए मशहूर हॉलीवुड अभिनेता टिमथी डाल्टन बहुत ही उपयुक्त सिद्ध हुए। उनके अभिनय ने दर्शकों में रोचेस्टर के प्रति विशेष सहानुभूति जगाई, इनके साथ जेन एयर के लिए ज़ेलाह क्लार्क को चुना गया जिसने जेन को छोटे पर्दे पर साकार कर दिखाया। इस धारावाहिक को अँग्रेज़ी और फ्रेंच भाषाओं में प्रदर्शित किया गया। इसकी कुल अवधि 239 मिनट थी।

हॉलीवुड में निर्मित जेन एयर फिल्मों की शृंखला में सन् 1996 में सुविख्यात निर्देशक फ्रेंकों ज़फिरेली द्वारा निर्देशित फ़िल्म “जेन-एयर” उल्लेखनीय है। इस फ़िल्म में बहुत ख़ूबसूरत कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया। इस फ़िल्म में शॉर्लट गिन्सबर्ग (जेन एयर), विलियम हर्ट (एडवर्ड फेयरफैक्स रोचेस्टर), जॉन वुड (ब्रोकलहर्स्ट), फयोना शॉ (साराह रीड), मारिया श्नाइडर (बर्था मेसन) आदि बड़े कलाकारों ने अभिनय किया। 116 मिनट की अवधि की यह फ़िल्म अमेरिका के साथ-साथ फ्रांस, इंग्लैंड, इटली में अँग्रेज़ी और फ्रेंच भाषाओं में रिलीज़ हुई और बहुत सराही गई। डेविड वॉट्किन के छायांकन (सिनेमाटोग्राफी) ने उपन्यास में वर्णित प्राकृतिक परिवेश को जीवंत कर दिया। इस फ़िल्म के लिए जेन एयर उपन्यास के कथानक को संक्षिप्त कर दिया गया। फ़िल्म का प्रारम्भ, रोचेस्टर द्वारा सीधी-सादी अनाथ जेन एयर की थोर्न फील्ड हॉल में गवर्नेस के रूप में नियुक्ति से होता है। उपन्यास में वर्णित जेन एयर के जीवन के दूसरे हिस्से को अर्थात सेंट जॉन रिवर्स और मोर्टन गाँव, डयाना और मेरी के प्रसंग को फ़िल्म मे नहीं लिया गया। फ़िल्म की कहानी में जेन एयर अपनी मामी के घर से चाचा की संपत्ति की वारिस बनकर धनी महिला के रूप में उजड़े और हारे हुए नेत्रहीन रोचेस्टर को स्वीकार करने के लिए लौट आती है और बेसहारा एडवर्ड रोचेस्टर को थाम लेती है। फ़िल्म का अंत यहीं हो जाता है। उपन्यास के संक्षिप्त रूप को ही फ़िल्म के लिए उपयुक्त माना गया।

आज भी जेन एयर साहित्य और सिनेमा दोनों रूपों में विश्व भर में समादृत है। 
 

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