कुछ अतीत की स्मृतियों के भीगे-से पल, कुछ भविष्य के सपनों की धुँधली-सी तस्वीरें, और बस, सृजनहीन वर्तमान का प्रतिक्षण, यूँ ही हाथों से फिसलते जाना….
कितना सिमट जाती है ज़िंदगी कभी-कभी!