याद आये तो
नीरज गोस्वामीज़िक्र तक हट गया फ़साने से
लोग जब हो गये पुराने से
बात सुनते नहीं बुज़ुर्गों की
हैं ख़फ़ा उनके बुदबुबाने से
जो है दिलमें जुबां पे ले आओ
दर्द बढ़ता बहुत दबाने से
तू मिला आँख यार क़ातिल से
ना पसीजेगा गिड़गिड़ाने से
याद आये तो जागना बेहतर
मींच कर आँख छटपटाने से
राज़ बस एक ही ख़ुशी का है
चाहा कुछ भी नहीं ज़माने से
ग़म के तारे नज़र नहीं आते
चाँद के सिर्फ़ मुस्कुराने से
देख बदलेगी ना कभी दुनिया
तेरे दिन रात बड़बड़ाने से
बुझ ही जाना बहुत सही यारों
बे सबब यूँ ही टिमटिमाने से
तुम बुरे को बुरा कहो नीरज
यही अच्छा है फुसफुसाने से
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- ग़ज़ल
-
- आए मुश्किल
- आप जब टकटकी लगाते हैं
- इंसानियत के वाक़ये दुशवार हो गये
- कह दिया वो साफ़ जो भाया नहीं
- कुछ सदा में रही कसर शायद
- कौन करता याद
- खार राहों के फूलों में ढलने लगे
- गुफ़्तगू इससे भी करा कीजे
- जहाँ उम्मीद हो ना मरहम की
- जान उन बातों का मतलब
- जैसा बोएँ वैसा प्यारे पाएँगे
- झूट जब बोला तो ताली हो गई
- झूठ को सच बनाइए साहब
- दिल का मेरे
- दूध पी के भी नाग डसते हैं
- प्यार की तान जब लगाई है
- फूल उनके हाथ में जँचते नहीं
- बस फ़क़त अटकलें लगाते हैं
- बारिशों में भीग जाना सीखिये
- बे सबब जो सफ़ाई देता है
- मान लूँ मैं ये करिश्मा प्यार का कैसे नहीं
- मैं तन्हा हूँ ये दरिया में
- याद आये तो
- याद की बरसातों में
- याद भी आते क्यूँ हो
- लोग हसरत से हाथ मलते हैं
- वो ना महलों की ऊँची शान में है
- वक़्त उड़ता सा चला जाता है
- सीधी बातें सच्ची बातें
- हसरतों की इमलियाँ
- फ़ैसले की घड़ी जो आयी हो
- विडियो
-
- ऑडियो
-