वेदना का व्याख्याकार - 3

06-09-2017

वेदना का व्याख्याकार - 3

विकास वर्मा

मूल कहानी – दि इंटरप्रेटर ऑफ मैलडीज़ (अंग्रेज़ी)
लेखिका : झुम्पा लाहिरी 
अनुवादक : विकास वर्मा

भाग- 3

उन्होंने दुभाषिए के तौर पर तब काम शुरू किया था जब उनका पहला बेटा, सात साल की उम्र में, टायफॉयड का शिकार हो गया था- इसी वजह से वह पहली बार डॉक्टर से मिले थे। उस समय मिस्टर कापसी किसी ग्रैमर स्कूल में अँग्रेज़ी पढ़ा रहे थे, और उन्होंने लगातार बढ़ते जा रहे मेडिकल बिलों को भरने के लिए ही दुभाषिए के रूप में अपनी सेवाएँ देना स्वीकार किया था। आख़िर में, एक शाम अपनी माँ की बाहों में लड़के ने दम तोड़ दिया, जब उसका शरीर बुखार से तप रहा था। लेकिन उसके बाद अंतिम संस्कार के लिए पैसे जुटाने थे, और फिर दूसरे बच्चे जो जल्दी ही पैदा हो गए थे, और फिर नया, पहले से बड़ा घर, और बेहतर स्कूल और पढ़ाने वाले, और बढ़िया जूते और टेलीविज़न, और ऐसे कई सारे दूसरे तरीक़े जिनके सहारे उन्होंने अपनी पत्नी को दिलासा देना चाहा और नींद में रोने से उसे रोकना चाहा। और इसीलिए, जब डॉक्टर ने यह प्रस्ताव रखा कि जितना वह ग्रैमर स्कूल में कमाते हैं उससे दुगुना उन्हें देगा, तो उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। मिस्टर कापसी जानते थे कि उनकी पत्नी के दिल में उनकी दुभाषिए की नौकरी के लिए कोई सम्मान नहीं था। उन्हें पता था कि यह काम उसे उसके बेटे की याद दिलाता था जिसे वह खो चुकी थी, और उसे इस बात से चिढ़ होती थी कि वह, अपनी ख़ुद की छोटी-सी कोशिश से, दूसरी ज़िंदगियों को बचाने में मदद करते थे। अगर वह कभी उनके काम के बारे में किसी से बोलती थी तो उन्हें "डॉक्टर का असिस्टेंट" बताती थी, जैसे कि भाषा के अनुवाद का काम किसी का बुखार देखने या बेडपैन11 बदलने के बराबर हो। उसने कभी भी उन मरीज़ों के बारे में नहीं पूछा जो डॉक्टर के ऑफिस में आया करते थे, और न ही कभी यह कहा कि उनका काम बड़ी ज़िम्मेदारी वाला काम था ।

इसी वजह से मिस्टर कापसी को यह सोचकर बेहद ख़ुशी हुई कि उनके काम के बारे में सुनकर मिसेज़ दास इतनी जिज्ञासु हो गई थीं। उनकी पत्नी के विपरीत, उन्होंने इस काम से जुड़ी बौद्धिक चुनौतियों का एहसास उन्हें करा दिया था। उन्होंने "रोमांटिक" लफ़्ज़ का भी इस्तेमाल किया था। अपने पति के प्रति तो कोई रूमानी बर्ताव उन्होंने नहीं किया था, लेकिन फिर भी उनके बारे में इस शब्द का इस्तेमाल उन्होंने किया था। उन्होंने सोचा क्या मिस्टर और मिसेज़ दास का रिश्ता बेमेल था, ठीक वैसे ही जैसे उनका और उनकी पत्नी का। शायद तीन बच्चों और अपनी ज़िंदगी के एक दशक को छोड़कर, उनके बीच भी कुछ सामान्य नहीं था। जिन संकेतों की पहचान उन्होंने ख़ुद अपनी शादी से की थी, वे सब यहाँ मौजूद थे- झगड़े, मतभेद, लंबी ख़ामोशियाँ। उन्होंने अचानक जो दिलचस्पी उनमें दिखाई थी, ऐसी दिलचस्पी जो न तो उन्होंने अपने पति में दिखाई थी और न ही अपने बच्चों में, उसका असर कुछ नशीला-सा हुआ था। जब मिस्टर कापसी ने एक बार फिर से सोचा कि किस अदा से उन्होंने "रोमांटिक" कहा था, तो नशा थोड़ा और बढ़ गया था।

वह ड्राइव करते हुए रियरव्यू मिरर में ख़ुद को निहारने लगे, और यह सोचकर ख़ुश होने लगे कि उन्होंने उस सुबह ग्रे सूट चुना, न कि भूरा जो घुटनों से थोड़ा ढीला-ढाला था। बीच-बीच में, वह शीशे में एक नज़र मिसेज़ दास पर भी डाल लेते थे। उनके चेहरे को देखने के अलावा, उनकी निगाह उनके सीने पर बीचोंबीच बनी स्ट्रॉबेरी और उनके गले पर बनने वाले सुनहरे-भूरे गड्ढे पर भी पड़ जाती थी। उन्होंने मिसेज़ दास को एक के बाद एक कई मरीज़ों के बारे में बताने का फ़ैसला किया: वह जवान महिला जिसकी शिकायत थी कि उसे ऐसा महसूस होता था जैसे उसकी पीठ पर बारिश की बूँदें पड़ रही हों, वह सज्जन जिनके पैदाइशी दाग पर बाल उगने शुरू हो गए थे। मिसेज़ दास एक छोटे प्लास्टिक ब्रुश, जो कीलों की अंडाकार शय्या जैसा दिखता था, से अपने बाल ठीक करते हुए, ध्यान से सुनती रहीं, सवाल पूछती रहीं, और दूसरे क़िस्सों के लिए फ़रमाइश करती रहीं। बच्चे चुप थे, उनकी दिलचस्पी पेड़ों पर बैठे ज़्यादा से ज़्यादा बंदरों को ढूँढ़ने में थी, और मिस्टर दास अपनी टूर बुक में डूबे हुए थे। इसलिए, लग रहा था जैसे मिस्टर कापसी और मिसेज़ दास के बीच कोई निजी बातचीत चल रही थी। अगला आधा घंटा इसी तरह बीत गया, और जब वे सड़क-किनारे के एक रेस्टोरेन्ट में लंच के लिए रुके, जहाँ पकौड़े और ऑमलेट सैंडविच मिलते थे, तो मिस्टर कापसी को निराशा हुई। हालाँकि, आमतौर पर यह एक ऐसी बात थी जिसका टूर के दौरान उन्हें काफ़ी इंतज़ार रहता था, ताकि कुछ देर शांति से बैठ सकें और गरमागरम चाय का मज़ा ले सकें। जब पूरा दास परिवार एक साथ एक बैंगनी छतरी, जिसके किनारों पर सफ़ेद और नारंगी गुच्छों की सजावट थी, के नीचे बैठ गया और उन्होंने तिकोनी टोपियाँ पहन कर घूम रहे बैरों में से एक को बुलाकर अपना ऑर्डर बताया, तो मिस्टर कापसी संकोच के साथ पास की एक मेज़ की तरफ़ बढ़ने लगे।

"मिस्टर कापसी, रुकिए। यहाँ जगह है," मिसेज़ दास ने उन्हें पुकारा। उन्होंने टीना को अपनी गोद में बैठा लिया और उनसे साथ बैठने का आग्रह किया। और इस तरह, एक साथ, उन्होंने बोतलबन्द मैंगो जूस और सैंडविच और बेसन में तले हुए प्याज़ और आलू के पकौड़े खाए। दो ऑमलेट सैंडविच खाने के बाद, मिस्टर दास ने ग्रुप के सदस्यों की और तस्वीरें खींची जब वे खा रहे थे।

"अभी और कितनी देर लगेगी?" उन्होंने मिस्टर कापसी से पूछा जब वह कैमरे में फिल्म का नया रोल डालने के लिए रुके।

"लगभग आधा घंटा और।"

अब तक बच्चे पास के पेड़ पर उछल- कूद मचा रहे बन्दरों को देखने के लिए मेज से उठ गए थे, इसलिए मिसेज़ दास और मिस्टर कापसी के बीच अब काफ़ी जगह थी। मिस्टर दास ने कैमरा अपने चेहरे के सामने रखा और एक आँख बन्द कर ली। उनकी जीभ उनके मुँह के एक कोने से बाहर दिखाई दे रही थी।

"यह अजीब लग रहा है। मीना, तुम मिस्टर कापसी के थोड़ा और नज़दीक आओ।"

उन्होंने ऐसा ही किया। वह उनकी त्वचा की ख़ुशबू सूँघ सकते थे, जो व्हिस्की और गुलाब-जल के मिश्रण की तरह थी। उन्हें अचानक यह चिंता हुई कि वह उनके पसीने की बदबू न सूँघ लें जो उनकी कमीज़ के सिंथेटिक कपड़े के नीचे इकट्ठा हो गया था। वह एक ही साँस में अपना मैंगो जूस पी गए और अपने हाथों से अपने सफ़ेद बाल ठीक करने लगे। जूस की कुछ बूँदें उनकी ठोड़ी पर गिर गईं। उन्हें चिंता हुई कि कहीं मिसेज़ दास ने देख न लिया हो।

उन्होंने नहीं देखा था। "आपका एड्रेस क्या है, मिस्टर कापसी?" अपने स्ट्रॉ बैग में कुछ टटोलते हुए उन्होंने पूछा।

"आप मेरा एड्रेस लेना चाहेंगी?"

"ताकि हम आपको कॉपी भेज सकें," उन्होंने कहा। "तस्वीरों की।" उन्होंने एक काग़ज़ का टुकड़ा मिस्टर कापसी को दे दिया जो उन्होंने जल्दी में अपनी फिल्म मैगज़ीन के एक पेज से फाड़ लिया था। खाली जगह काफ़ी कम थी, क्योंकि छोटे से काग़ज़ के ज़्यादातर हिस्से पर लिखी हुई लाइनें थीं और हीरो और हिरोइन की एक छोटी-सी तस्वीर थी जिसमें वे एक यूकेलिप्टस पेड़ के नीचे एक दूसरे से लिपटे हुए थे।

काग़ज़ थोड़ा मुड़ गया, जब मिस्टर कापसी साफ़ अक्षरों में और ध्यान से अपना पता लिख रहे थे। मिसेज़ दास उन्हें ख़त लिखेंगी, जिसमें वह पूछेंगी कि डॉक्टर के ऑफ़िस में दुभाषिए के तौर पर उनके दिन कैसे बीत रहे हैं, और वह बहुत ही अर्थपूर्ण ढंग से जवाब देंगे, केवल सबसे दिलचस्प क़िस्से ही चुनेंगे, ऐसे क़िस्से जिन्हें पढ़कर न्यू जर्सी के अपने घर में वह ज़ोर-ज़ोर से हँसा करेंगी। कुछ समय बाद वह यह ख़ुलासा कर देंगी कि वह अपनी शादी से नाख़ुश हैं, और वह भी अपनी शादी के बारे में यही कहेंगे। इस तरह उनकी दोस्ती आगे बढ़ेगी, और मज़बूत होगी। उनके पास वो तस्वीर होगी जिसमें वे दोनों बैंगनी छतरी के नीचे बैठे प्याज़ के पकौड़े खा रहे थे, और उन्होंने फ़ैसला कर लिया था कि वह इस तस्वीर को अपनी रूसी व्याकरण की किताब के पन्नों के बीच सम्भाल कर रखेंगे। जैसे-जैसे मिस्टर कापसी का दिमाग़ कल्पना की उड़ान भर रहा था, उन्हें एक हल्का और ख़ूबसूरत-सा झटका महसूस हुआ। यह एहसास वैसा ही था जैसा काफ़ी पहले उन्हें महसूस होता था, जब शब्दकोश की मदद से महीनों अनुवाद करते रहने के बाद, वह आख़िरकार किसी फ्रेंच उपन्यास का एक गद्यांश या कोई इटैलियन सॉनेट पढ़ने में कामयाब हो जाते थे और अपने ख़ुद के प्रयासों से उलझनों को हराते हुए, एक के बाद एक, शब्दों को समझने लगते थे। ऐसे ही पलों में मिस्टर कापसी को यह विश्वास हो जाता था कि दुनिया में सब कुछ अच्छा है, सभी संघर्षों का पुरस्कार कभी न कभी मिलता है और आख़िर में ज़िन्दगी की तमाम ग़लतियों का कुछ न कुछ अर्थ होता है। मिसेज़ दास उन्हें ख़त लिखेंगी, इस उम्मीद से वह अब फिर से उसी विश्वास से भर गए थे।

- क्रमशः

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