वक़्त उड़ता सा चला जाता है

15-07-2007

वक़्त उड़ता सा चला जाता है

नीरज गोस्वामी

वक़्त उड़ता सा  चला जाता है
जब  कोई  साथ  मुस्कुराता  है 


साँसें  बोझिल सी होने लगती हैं
जब भी वो याद मुझको आता है 


ख़ार ज़ालिम है हँसता डाली पर
गुल  है  मासूम तोड़ा जाता  है


चाहे जितना ख़याल आप करें
क़ैद  पँछी  तो फड़फड़ाता  है 


बात दिलकी ज़ुबाँ से बोल ज़रा
देख  फिर  कौन साथ आता है 


देखता तितलियाँ वो ख़्वाबों में
बच्चा  नींदों  में  मुस्कुराता है 


कौन पढ़ता किताब रिश्तों की
हर कोई वर्क पलट जाता  है 

वो है दुश्मन कि दोस्त है मेरा
पहले लड़ता है फिर मनाता है 


एक दौलत ही प्यार की नीरज
उसकी बढ़ती है जो लुटाता है

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