तुम आ जाओ

01-06-2020

तुम आ जाओ

कविता (अंक: 157, जून प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

सूना है मन का द्वार 
मेरा जिया करे पुकार 
सजन तुम आ जाओ. . .


सूनी अखियाँ करें पुकार 
चले आओ तुम इक बार 
जिया तड़पत है बार - बार 
लगावे इक ही रटन बार -बार 
सजन तुम आ जाओ. . .


छा गई बगिया में बहार 
खिले हैं प्यार के फूल हज़ार 
तुम छिपे हो किस पार 
क्यूँ नहीं सुनते मेरी पुकार 
सजन तुम आ जाओ. . .


तुम आओ तो खिल जाए 
मोरे मनवा का गुलाब 
यूँ ना सताओ बार बार 
मोरा मनवा करे पुकार 
सजन तुम आ जाओ. . .

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