स्पर्श (दीपा जोशी)

03-05-2012

स्पर्श (दीपा जोशी)

दीपा जोशी

सिहर उठा उर सखी
पुलकित लधु प्राण है
मधुर‍ -मधुर सी इक कसक से
धुल रहा संताप है

 

पल्लवित हुआ जीवन कुसुम
बहे उन्मुक्त हर्ष‍‍‍ बयार है
नयनों की मधुशाला से
छलक -छलके खुमार है

 

दिशाएँ गा रहीं मिलन गीत
स्वनों में जो आया मनमीत
छूकर अधरों से नयन दीप
कर गया व्याकुल हृदय अधीर

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