कल सपने में एक रोटी आई, अकेले आई थी, साथ आज नमक भी नहीं था, लेकिन संपूर्ण थी, कहें तो अर्धनारीश्वर, कहा निर्भ़य रहो, भूख कल नहीं होगी, वह खंभे वाले गोलघर में, बहस करने गयी है, सुबह न भूख थी, न तलाश कोई- सपना सच था।